आनुवाशिंक रूप से संवर्धित फसलों की खेती पर सरकार द्वारा रोक के बाद जीएम लॉबी एक बार फिर से सक्रिय हो गई है। ये जीएम समर्थक समूह अब राज्यों में अपने पक्ष में राय जुटाने में लगे हैं जिससे कि किसानों को जीएम फसलों की खेती की अनुमति मिल सके।
एबल (एशोसिएशन आफ बायोटेक लेड इंटरप्राइज) के कार्यकारी निदेशक शिवरमैया शांताराम ने बताया कि जैव प्रौद्योगिकी फसलों की खेती के लाभों के बारे में उन्हें समझाने के इरादे से कृषि मंत्री के साथ कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और गुजरात के कृषि तथा बागवानी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से उन्होंने मुलाकात की है।
सरकार ने पिछले साल फरवरी में जीएम फसल बीटी बैंगन की खेती पर रोक लगा दी थी। पर्यावरणविद् और समाज के विभिन्न तबकों की ओर से जीएम बीजों के विरोध में व स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को लेकर जतायी गयी चिंता के बाद सरकार ने यह कदम उठाया था।
अमेरिकी कृषि विभाग में 15 साल तक काम करने का दावा करने वाले शांताराम के अनुसार हमें अबतक किसी भी राज्य से इन बीजों के बारे में नकारात्मक खबरें नहीं मिली है। प्रसिद्ध किसान नेता शरद जोशी आनुवांशिक रूप से संवर्धित जीएम बीजों के समर्थक समूह में शामिल हैं। शरद जोशी भी जीएम प्रौद्योगिकी पर आधारित फसलों के गुणों के बारे में राज्य भर के किसानों को बता रहे हैं।
एबल के अधिकारियों के अनुसार अमेरिका, कनाडा, अर्जेंटीना, ब्राजील और कई यूरोपीय देशों सहित 25 से अधिक देशों में जीएम बीजों की सफलतापूर्वक खेती की जा रही है। उन्होंने वैज्ञानिकों से अपील की कि वे इस विषय पर बेबाक अपनी राय दें।