आपको याद होगा कि जब 30 जून 2010 को हमने जीआईसी हाउसिंग में पहली बार निवेश की सलाह दी थी तब उसका शेयर 104 रुपए के आसपास था। ठीक एक दिन पहले उसने तब तक के पिछले 52 हफ्तो का शिखर 106.45 रुपए पर बनाया था। फिर भी हमने कहा था कि इसे 150 रुपए तक पहुंचना चाहिए। और, वो चार महीने के भीतर 25 अक्टूबर 2010 को 161.55 रुपए के शिखर पर जा पहुंचा। चार महीने में 54 फीसदी से ज्यादा बढ़त!!!
जो लक्ष्य बनाकर खरीदते-बेचते होंगे, उन्होंने निश्चित रूप से हमारी सलाह पर कमाया होगा। लेकिन जो लोग शेयरों में निवेश को भारत सरकार की पंचवर्षीय योजनाओं की तरह चलाते हैं, वे निश्चित रूप से पछता रहे होंगे क्योंकि जीआईसी हाउसिंग का शेयर अब अपने शिखर से लगभग आधे पर आ चुका है। बीते शुक्रवार, 23 सितंबर 2011 को यह बीएसई (कोड – 511676) में 88.30 रुपए और एनएसई (कोड – GICHSGFIN) में 88.45 रुपए पर बंद हुआ है। यही नहीं, पिछले महीने 19 अगस्त को यह बीएसई में 81.75 रुपए और एनएसई में 81 रुपए की तलहटी भी पकड़ चुका है। इसीलिए मेरी निजी राय है कि भारतीय बाजार में लांग टर्म की सोच फिलहाल सही नहीं है। यहां लक्ष्य बनाकर चलना चाहिए और जैसी ही वह हासिल हो, बेचकर प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए।
पिछले साल भर में जीआईसी हाउसिंग का धंधा-पानी कैसा रहा है, इसकी चर्चा बाद में। पहले इस बात की गारंटी कि यह शेयर यहां से ज्यादा से ज्यादा 60 दिनों के भीतर कम से कम 10 फीसदी रिटर्न दे देगा। अभी 88.50 रुपए पर है तो दो महीने के भीतर 97.35 रुपए तक तो पहुंच ही जाएगा। कैसे? इसका शुद्ध गणित नई खरीद का समर्थन है। बड़े निवेशकों की खरीद आनेवाली है, जो इसे चढ़ाकर ऊपर ले जाएंगे। बाकी फंडामेंटल वगैरह अपनी जगह हैं। उनकी परवाह पंचवर्षीय योजना वाले निवेशक करें। हम तो बहती धारा के साथ चलकर थोड़े समय में फायदा कमाने की सोच वालों के साथ हैं।
हां, एक बात और। 100-200 शेयर खरीदनेवालों को हमारी सलाह से खास फायदा नहीं होने जा रहा। मान लीजिए कि किसी ने अभी जीआईसी हाउसिंग के 100 शेयर 88.50 रुपए पर खरीद लिए तो उसे दो महीने में 8850 रुपए पर 885 रुपए मिल जाएंगे। लेकिन इतना पैसा तो किसी साधारण से रेस्टोरेंट में परिवार के साथ साधारण-सा खाना खाने पर खर्च हो जाएगा। फिर इतनी मशक्कत का क्या फायदा। लेकिन अगर किसी ने एक करोड़ का निवेश कर दिया तो उसे जीआईसी हाउसिंग दो महीने के अंदर दस लाख रुपए दे सकता है। इसलिए सच पूछें तो हमारी इस तरह की शॉर्ट टर्म सलाहें बड़े निवेशकों के लिए हैं। जाहिर है, उनका फायदा करानेवाली सूचना दे रहे हैं तो उनसे हम अपनी फीस भी लेंगे। लेकिन अभी नहीं, बाद में। अमीर निवेशकों के लिए शॉर्ट टर्म निवेश की अपनी सेवा शुरू होने के बाद।
बता दें कि चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में जीआईसी हाउसिंग की कुल आय 31.45 फीसदी बढ़कर 102.56 करोड़ रुपए हो गई। हालांकि इस दौरान उसका शुद्ध लाभ 9.25 फीसदी घटकर 17.56 करोड़ रुपए पर आ गया। धंधे में ऊंच-नीच तो चलता ही है। बीते पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी कुल आय 339.87 करोड़ रुपए, शुद्ध लाभ 113.76 करोड़ रुपए और प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) 21.13 रुपए था। जून 2011 की तिमाही के नतीजों के बाद उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस घटकर 8.88 रुपए पर आ गया है। इसका मतलब उसका शेयर अभी 9.94 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू 86.60 रुपए है जो उसके बाजार भाव के लगभग बराबर है।
इस तरह जीआईसी हाउसिंग फाइनेंस के फंडामेंटल ठीकठाक हैं और वो लांग टर्म के लिए भी बुरा नहीं है। मूलतः सरकारी कंपनी है। कुल 53.85 करोड़ रुपए की इक्विटी का 46.40 फीसदी हिस्सा जीआईसी, न्यू इंडिया एश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस और आईएफसीआई के पास है। जाहिर है कि साधारण बीमा में लगी अपनी प्रवर्तक कंपनियों के तंत्र के दम पर जीआईसी हाउसिंग आसानी से अपना धंधा बढ़ा सकती है। एलआईसी ने भी पब्लिक की श्रेणी में इसके 5.04 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं।
कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 38,564 है जिनमें से 36,902 यानी 95.69 फीसदी छोटे निवेशक हैं। इनके पास प्रवर्तकों के बाद सबसे ज्यादा 21.57 फीसदी शेयर हैं। एफआईआई ने भी कंपनी के 4.87 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं। उन्होंने जून तिमाही के दौरान कंपनी में अपना निवेश बढ़ाया है। उसके बाद का पता नहीं। अकेले एक एफआईआई अकासिया पार्टनर्स के पास कंपनी के 3.32 फीसदी शेयर हैं। हां, कंपनी बराबर लाभांश देती रही है। इस बार भी उसने दस रुपए के शेयर पर 4.50 रुपए यानी 45 फीसदी का लाभांश दिया था।