दुनिया के बाजार जापान की बात बिसूर चुके हैं, जबकि भारतीय बाजार अब भी अपनी लय पकड़ने की जद्दोजहद में लगा है। यह दिखाता है कि भारत की गति दुनिया से भिन्न है। विश्व बाजार से भारत के असंपृक्त या जुदा होने और पूरी तरह समाहित होने के दोनों ही सिद्धांत गलत साबित हो चुके हैं। असल में भारत में एक ही सिद्धांत चलता है और वह है गठजोड़ का सिद्धांत। यहां गठजोड़ से सरकार चलती है। ऑपरेटरों और एफआईआई का गठजोड़ ही हमारे बाजार को चलाता है। जो भी इससे इनकार करता है, वह सब कुछ देखते हुए भी गांधारी की तरह अपनी आंख पर पट्टी बांधे हुए है।
फिलहाल इस दौर का आखिरी काउंटाडाउन चल रहा है। निवेशकों की तिजोरी एकदम खाली हो चुकी है। यहां से बाजार को अब चक्रवात की तरह ऊपर उठना है क्योंकि अभी जो भी निवेश हो रखा है, वह या तो प्रवर्तकों का है या कुछ निहित स्वार्थों का है, चाहे उन्हें हम एचएनआई कह लें या ऑपरेटर। उनके लिए केवल मिडकैप स्टॉक्स से ही मुनाफा कमाना संभव है। इसलिए उनके सामने आनेवाले महीनों में अच्छे-खासे वोल्यूम के साथ इनके भावों को चढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं है।
आपको याद है मार्च 2009 में वोल्टास कितने पर था? वोल्टास तब था 32 रुपए पर और डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स 27 रुपए व वीआईपी इंडस्ट्रीज 30 रुपए पर थे। महज बारह महीनों के भीतर ये सभी स्टॉक्स कई गुना बढ गए, मल्टीबैगर बन गए। मार्च 2010 में वोल्टास 180 रुपए, डेक्कन क्रॉनिकल 180 रुपए और वीआईपी 360 रुपए पर पहुंच गया। अच्छे शेयरों की ऐसी उठान में ज्यादा वक्त नहीं लगता। हां, वक्त जरूर लगता है यह बात आपको समझ में आने में क्योंकि आप तो नया निवेश करते नहीं, घाटा खाकर भी बेच डालते हैं और बाजार में फटाफट नोट बनाने के लिए फिर कुछ नया खरीद डालते हैं। आप देखते ही नहीं कि जो स्टॉक आप बेच रहे हैं, वह भी बढ़ने जा रहा है। जब तक आपको यह दिखता है तब तक बाजी हाथ से फिसल चुकी होती है और आप हाथ मलते रह जाते हैं। दुखी होते हैं कि मैंने गलत समय पर बेच डाला।
अभी वक्त चल रहा है कि एवरेज-आउट कर लिया यानी सस्ते भावों पर खरीद कर स्टॉक के अपने औसत खरीद मूल्य को कम कर लिया जाए और नया निवेश किया जाए क्योंकि बाजार भारी डिस्काउंट पर चल रहा है। बहुत सारे शेयर बेहद सस्ते भाव पर उपलब्ध हैं। अगर आप 40 फीसदी रिटर्न की तलाश में हैं तो हो सकता है कि यह बाजार आपको 400 फीसदी रिटर्न दे जाए। अगर 400 फीसदी नहीं तो मिडकैप के ज्यादातर स्टॉक्स में 100 फीसदी रिटर्न एकदम पक्का नजर आ रहा है।
फिलहाल खिलाड़ी लोग जान-बूझ कर वोल्यूम को फेट रहे हैं ताकि घाटे का दावा किया जा सके और उसके दम पर खाते को बराबर किया जा सके। इसलिए यह स्थिति सही बाजार भाव को नहीं दर्शाती। इस मौके का फायदा उठाइए और अच्छे-अच्छे शेयर चुपचाप हथिया लीजिए। किसी को क्या फर्क पड़ेगा जो आप समुंदर से एक लोटा पानी निकाल लेंगे। सेंसेक्स 24,000, 27,000 और 30,000 तक। यह सारे स्तर बाजार हासिल करेगा। बस, आप ठहरे मत रहो, चलना शुरू कर दो।
जीवन को वही लोग कायदे से जी पाते हैं जो बदलाव को स्वीकार करते हैं और अनजान रास्तों पर चलने का जोखिम उठाते हैं। कबीर की वाणी याद है – जो बूड़ा तिन पाइयां गहरे पानी पैठि। मैं बपुरा बूड़न डरा, रहा किनारे बैठि।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)