पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के एक अधिकारी को खूस देकर फर्जी चिट्ठी बनवाने से लेकर मनी लॉन्डरिंग व शेयर बाजार में धांधली करने जैसे अपराधों का दोषी स्टॉक ब्रोकर निर्मल कोटेचा फरार हो गया है। वह भी तब, जब सेबी और रिजर्व बैंक जैसे नियामक ही नहीं आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय, आईबी और सीबीआई जैसी एजेंसियां उस पर गिद्ध निगाह रखे हुए थीं।
कोटेचा ने तीन साल पहले पिरामिड साइमीरा के शेयरों को जबरन चढाने के लिए सेबी की फर्जी चिट्ठी का सहारा लिया था। इसके लिए उसने इकनॉमिक टाइम्स जैसे अखबार के रिपोर्टर राजेश उन्नीकृष्णन और ऐड फैक्टर्स जैसी पीआर एजेंसी के कर्मचारी राकेश शर्मा को भी खिला-पिलाकर अपने साथ मिला लिया था। मामला खुला तो सेबी ने जांच के बाद अप्रैल 2009 में उसे अगले आदेश तक शेयर बाजार से किसी तरह का वास्ता रखने से बैन कर दिया। सेबी ने काले धन को सफेद करने के लिए आरोप के साथ कोटेचा का मामला रिजर्व बैंक के हवाले भी कर दिया था। यही नहीं, वह 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में लिप्त बताया जाता है। इसलिए सीबीआई भी उस पर बराबर नजर रखे हुए थी।
लेकिन हर्षद मेहता के घोटाले का भंडाफोड़ करनेवाली जानी-मानी पत्रकार सुचेता दलाल ने एक ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया है कि निर्मल कोटेचा सबकी आंख में धूल झोंककर फरार हो गया है। पिरामिड साइमीरा घोटाले के वक्त पकड़े जाने पर भी खुलासा हुआ था कि निर्मल कोटेचा 230 बेनामी फर्मों व डीमैट खातों के जरिए शेयर बाजार में खेल करता था। यही नहीं, वह अपने एकाउंटेंट के एक्सीडेंट में मृत साले अमोल कोकाणे का मोबाइल नंबर और अपनी पत्नी का बैंक खाता तक फर्जीवाड़े के लिए इस्तेमाल कर रहा था।
बताते हैं कि सेबी की बंदिश के बावजूद वह शेयर बाजार में अब भी सक्रिय था। भले ही आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) के लोग संजय डांगी व केतन पारेख के साथ उसका भी फोन टैप कर रहे थे। खबर के मुताबिक वह मुंबई में दादर के पास माटुंगा में पड़नेवाले अपने घर से ज्यादातर बाहर रहता था और अपना मोबाइल नंबर बराबर बदलता रहता था। उसका खास अड्डा सांताक्रूज एयरपोर्ट के आसपास के आलीशान होटल रहते थे। यहीं से अचानक कुछ दिन पहले वह फरार हो गया है।
बताते हैं कि निर्मल कोटेजा की पहुंच बड़ी ऊंची थी और उस पर बड़े लोगों का हाथ था। वरना 35 साल का कोई ब्रोकर इतने बड़े खेल नहीं कर पाता और खुल्लमखुल्ला नहीं कह पाता कि वह 1992 के प्रतिभूति घोटाले के मुख्य दोषी हर्षद मेहता को अपना आदर्श मानता है। खबरों के मुताबिक सेबी के बैन और तमाम एजेंसियों की निगरानी के बावजूद वह मॉरीशस के म्यूचुअल फंड मावी इनवेस्टमेंट फंड का कर्ताधर्ता था। यह म्यूचुअल फंड भारत में पंजीकृत एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) एमएम वारबर्ग (श्वाइत्स) एजी के सब-एकाउंट में काम कर रहा था।
मावी म्यूचुअल फंड पर अभी दो महीने पहले सितंबर में ही प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन निर्मल कोटेचा की हैसियत क्या है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बिजनेस वर्ल्ड पत्रिका ने 16 जुलाई 2011 के अंक में छपी रिपोर्ट में उसकी नेटवर्थ 1821.42 करोड़ रुपए बताई थी। पत्रिका ने देश के गैर-प्रवर्तक अरबपतियों की सूची में राकेश झुनझुनवाला के बाद निर्मल कोटेचा को रखा था। राकेश झुनझुनवाला की नेटवर्थ 2470.33 करोड़ रुपए बताई गई थी।