सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनपीसीआईएल (न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) ने सोमवार को राजस्थान के रावतभाटा में 700 मेगावॉट के परमाणु बिजली संयंत्र की आधारशिला रख दी। इसे परमाणु संयंत्रो के लिए तकनीकी भाषा में एफपीसी (फर्स्ट पोर ऑफ कांक्रीट) कहते हैं। एफपीसी की तारीख से परमाणु संयंत्र का निर्माण शुरू हुआ माना जाता है।
रावतभाटा का यह संयंत्र या रिएक्टर देश में बनाए गए 700 मेगावॉट के दो प्रेसराइज्ड हैवी वॉटर रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) का हिस्सा है। इसे 2016-17 तक पूरा कर लेने का लक्ष्य है। इन दोनों संयंत्रों के पूरा हो जाने पर एनपीसीआईएल उत्तरी ग्रिड को 1400 मेगावॉट बिजली सप्लाई करेगी। इसमें से 700 मेगावॉट बिजली राजस्थान के लिए है।
रावतभाटा कोटा से करीब 65 किलोमीटर दूर है। 700 मेगावॉट के परमाणु रिएक्टर के मुख्य हिस्से को ठंडा रखने के लिए दबाव के साथ भारी जल का इस्तेमाल किया जाएगा। संयंत्र की आधारशिला रखे जाने के मौके पर परमाणु ऊर्जा आयोग के चेयरमैन श्रीकुमार बनर्जी और एनपीसीआईएल के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक श्रेयांस कुमार जैन भी मौजूद थे। बनर्जी ने बटन दबा कर मशीन से सीमेंट डालने का काम शुरू किया।
इसी तरह के 700 मेगावॉट के दो और परमाणु बिजली संयंत्र गुजरात के ककरापार में लगाए जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि इनमें सुरक्षा के उन्नत इंतजाम हैं जो प्राकृतिक नियमों के आधार पर काम करते हैं और इनके लिए किसी ऑपरेटर की जरूरत नहीं होती। इस समय देश में कुल 4780 मेगावॉट क्षमता के 20 परमाणु बिजली संयंत्र हैं। इसके अलावा 5300 मेगावॉट क्षमता के परमाणु बिजली संयंत्रों पर काम चल रहा है। 2017 तक इनके पूरा होने पर देश में परमाणु बिजली की स्थापित क्षमता 10,080 मेगावॉट हो जाएगी।
साल 2020 तक इसे 20,000 मेगावॉट तक पहुंचा देने का लक्ष्य है। पर्यावरणवादियों को अचंभा इस बात पर है जब जापान में फुकुशिमा हादसे के बाद जर्मनी जैसे तमाम देश परमाणु बिजली के तौबा कर रहे हैं, तब भी भारत उन्हें अपनाने की तरफ बढ़ रहा है, जबकि पानी और धूप जैसे प्राकृतिक संसाधनों की विपुलता ने भारत के सामने बेहतर व सुरक्षित विकल्प पेश कर रखे हैं।