वित्त मंत्रालय सर्विस टैक्स के बारे में ऐसी सूची तैयार कर रहा है, जिसके बाहर की सभी सेवाओं पर टैक्स लगाया जाएगा। इसे निगेटिव लिस्ट या निषेध सूची का नाम दिया गया है। प्रस्तावित जीएसटी (माल व सेवा कर) की नई प्रणाली लागू हो जाने के बाद इस सूची की अहमियत बढ़ जाएगी। इसी के मद्देनजर सरकार यह सूची तैयार कर रही है।
लेकिन सरकार की तात्कालिक चिंता यह है कि देश में पंजीकृत कुल 15 लाख सर्विस टैक्स देनेवालों में से केवल छह लाख ही अपना रिटर्न दाखिल कर रहे हैं। खुद केंद्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के चेयरमैन एस डी मजूमदार ने बताया कि पिछले कुछ सालों से 9 लाख कारोबारी निकायों ने सर्विस टैक्स देना बंद कर दिया है। सरकार यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इन निकायों ने सेवा ही बंद कर दी है या यह कर चोरी का मामला है।
बता दें कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में सर्विस टैक्स के कुल 82,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में सर्विस टैक्स का संशोधित अनुमान 69,400 करोड़ रुपए था, जबकि वास्तव में इससे सरकार को 70,200 करोड़ रुपए हासिल हुए।
सीबीईसी चेयरमैन के मुताबिक इस साल अप्रैल से जुलाई तक के चार महीनों में सर्विस टैक्स से हासिल रकम 35.5 फीसदी बढ़ गई है। लेकिन सरकार चाहती है कि इसमें कोई कमी न आए। इसलिए पंजीकरण के बावजूद सर्विस टैक्स न देनेवालों की तलाश तेज कर दी गई है।