शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग कुछ इंडीकेटरों या टिप्स का करतब नहीं, बल्कि एक कौशल है जिसे हर किसी को अपने अंदाज़ में विकसित करना पड़ता है। हिंदी में इससे जुड़ी किताबें भले ही न हों, पर अंग्रेज़ी में हज़ारों किताबें हैं। पिछले दो शनिवार को मैंने इसी कॉलम में पांच किताबों का लिंक दिया है। यह सेवा सब्सक्राइब न करनेवाले पाठक भी इन्हें देख सकते हैं। ये कुछ चुनिंदा मूलभूत किताबें हैं जिन्हें ट्रेडिंग की तैयारी के लिए पढ़ना ज़रूरी है। इसलिए नहीं कि ये आपको ट्रेडिंग में पारंगत बना देंगी, बल्कि इनसे यह समझने में मदद मिलेगी कि ट्रेडिंग की आम मानसिकता क्या है और उसे नाथने के लिए क्या-क्या तरीके आजमाए जा सकते हैं।
आम मानसिकता को पकड़ना और अपने खास तरीके से उसे इस्तेमाल करना, यही है ट्रेडिंग में कामयाबी का गुर। अच्छे से अच्छे ट्रेडर का अनुमान गच्चा खा सकता है, बल्कि गच्चा खाता है। दस में से छह दांव भी सही हो जाएं तो समझिए बल्ले-बल्ले। हकीकत यह है कि कोई भी ट्रेडर अनुमानों के सच्चे होने पर कमाई नहीं करता। वो कमाई करता है जोखिम या रिस्क के कुशल प्रबंधन से। लोग कहते हैं कि ट्रेडिंग में भयंकर रिस्क है। लेकिन आपको जानकार आश्चर्य होगा कि अच्छा ट्रेडर कभी रिस्क लेता ही नहीं। उसका सूत्र होता है – न्यूनतम रिस्क, अधिकतम फायदा। दांव पलटते ही वो बिना कोई जिद किए घाटा काटकर निकल लेता है।
वो जानता सब है। कैंडलस्टिक पैटर्न से लेकर तमाम इंडीकेटरों समेत टेक्निकल एनालिसिस की सारी बारीकियां। भले ही वो इनमें से अधिकतम चार-पांच का ही इस्तेमाल करे। इन सबसे वो हज़ारों अपने जैसे दूसरे ट्रेडरों की मानसिकता को समझता है ताकि उन पर बीस पड़ सके। भीड़ को समझता है ताकि भेड़चाल का फायदा उठा सके। बाकी काम वह आत्म-नियंत्रण और अनुशासन से करता है। इस तरह का एक बहु-प्रचलित अनुशासन हमने हाल ही में ‘2 फीसदी, छह फीसदी’ के नियम के रूप में आपके सामने रखा था।
योजना बनाना और आत्म-नियंत्रण या अनुशासन से उस पर अमल करना। खुद के अनुभव से अपने कौशल को उन्नत बनाते जाना। इसी हिसाब से ट्रेडिंग सिस्टम की काटछांट ताकि वो आपके अनुरूप ढल सके। मुश्किल यह है कि हर कोई ट्रेडिंग इसलिए करना चाहता है कि वो अधिक से अधिक नोट बना सके। लेकिन दिल-दिमाग पर नोट छाया रहता है तो हम जो है वो नहीं, बल्कि जो चाहते हैं उसे देखने लगते हैं। बहुत ही कम ट्रेडर ऐसे होते हैं जो सुचिंतित रणनीति पर अमल करते हैं।
बहुतों के दिमाग में रहता है कि योजना और रणनीति का क्या करना! नोट बना रहा हूं, क्या इतना काफी नहीं? मगर सवाल उठता है कि कब तक? अगर आप अपने कौशल को लगातार माजेंगे नहीं, उसे उन्नत नहीं बनाएंगे तो दूसरे को बाज़ी मारते देर नहीं लगेगी। बगैर योजना और रणनीति के ट्रेडिंग करना मूलतः जुआ खेलना है और जुआ आखिरकार आपकी सारी दौलत सोख लेता है। ट्रेडिंग के कौशल को विकसित किए बगैर, अपने ही अनुभवों से सीखे बगैर आप कामयाबी के सिलसिले को बनाए नहीं रख सकते। ट्रेडिंग एक युद्ध है जिसमें हज़ारों लोग एक-दूसरे को पछाड़ने में लगे हैं। यहां तो वही मामला है कि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।
ज्योतिषी और स्टॉक एनालिस्ट अगर पक्के तौर पर अनिश्चितता को मिटाने की बात करते हैं तो यह उनका धंधा है। इससे उनकी कमाई होती है। हमें तो मन में कहीं गहरे बैठा लेना चाहिए कि अनिश्चितता या जोखिम से पार पाना किसी के लिए भी संभव नहीं। हां, उसे कम से कम ज़रूर किया जा सकता है। जोखिम को न्यूनतम करने का एक अतिवादी तरीका पेश करता हूं जिसे मशहूर लेखक नासिम निकोलस तालेब ने अपनी किताब The Black Swan में पेश किया है। उन्होंने इसे बारबेल (Barbell) रणनीति का नाम दिया है।
तालेब बताते हैं कि ट्रेडर रहने के दौरान उन्होंने खुद इस रणनीति पर अमल किया है। चूंकि भविष्य को आंकने में गलतियों से बचा नहीं जा सकता और आकस्मिक घटनाएं आपको बरबाद कर सकती हैं (एमसीएक्स और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज़ को याद कर लें), इसलिए अति-सुरक्षित और अति-आक्रामक अंदाज़ का मेल बड़े काम का हो सकता है। मसलन, आप अपना 85 से 90 फीसदी धन जबरदस्त सुरक्षित माध्यम (जैसे एफडी या सरकारी बांड) में लगा सकते हैं और बाकी 10-15 फीसदी धन जबरदस्त आक्रामक अंदाज़ में वेंचर कैपिटल वालों की तरह भयंकर जोखिम वाले माध्यम में लगा सकते हैं। ज्यादा जोखिम ने ज्यादा रिटर्न दे दिया तो वाह-वाह। उसे खटाक से उठाकर फिर एफडी वगैरह में डाल दिया। डूब गया तो ज्यादा से ज्यादा आपका 10 फीसदी धन ही तो जाएगा। आप जानते ही हैं कि स्मॉल कैप व मिड कैप स्टॉक्स सबसे ज्यादा रिस्की होते हैं। इसलिए हम उनमें 5-10 फीसदी पोर्टफोलियो ही लगाने की सलाह देते हैं।
अगला कॉलम आज़ादी की 66वी सालगिरह के बाद आएगा। कौन आज़ाद हुआ, किसके माथे से सियाही छूटी, मेरे सीने में अभी दर्द है महकूमी का, मादरे हिंद के चेहरे पे उदासी है वही। सच्चे लोकतंत्र और सच्ची आज़ादी की लड़ाई अब भी जारी है। आप कम से कम अपनी आर्थिक आज़ादी की तरफ मजबूत कदमों से बढ़ सकें, इसी ख्वाहिश के साथ अगले हफ्ते फिर मुलाकात होगी। तब तक पढ़ते रहें, सीखते रहें।