हठी विक्रमादित्य हारकर बने वेताल

जो लोग अपनी बचत को महंगाई की मार से बचाने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट, सोना या रीयल एस्टेट के अलावा म्यूचुअल फंड व शेयरों में लगाते हैं, वे पक्के निवेशक हैं और उन पर इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता कि शेयर बाज़ार कब, कैसे, कहां दिशा बदलनेवाला है। लेकिन जो लोग हर महीने का खर्च जुटाने के लिए शॉर्ट-टर्म ट्रेडर हैं या पांच-दस साल के बड़े टाइमफ्रेम में दौलत जुटाने में लगे लांग-टर्म ट्रेडर हैं, उनके लिए यह जानना बेहद अहम होता है कि शेयरों के भाव कब, कहां, कैसे और किस दिशा में जा सकते हैं।

भावी दिशा को पकड़ने और अनिश्चितता को नाथने के लिए वे तरह-तरह की टिप्स, गुरुओं और टेक्निकल एनालिसिस का सहारा लेते हैं। टेक्निकल एनालिसिस में भी पचासों इंडीकेटर। कोई दिशा बताता है तो कोई बताता कि सावधान! आगे खतरनाक मोड़ है या सीधी चढ़ाई है। चार सदी पहले कभी जापान में चावल की ट्रेडिंग के लिए ईजाद हुई कैंडलस्टिक पद्धति में पेंच-दर-पेंच। कैंडल में भी दो-चार नहीं, डेढ़ सौ से ज्यादा किस्में। इसके ऊपर गैन (Gann) का ज्ञान और इलियट वेब सिद्धांत जिसमें फिबोनाकी संख्याओं का घोल। इन सभी को मिलाकर जो ट्रेडिंग सिस्टम बनता है, उसकी संख्या सैंकड़ों नहीं, हज़ारों में पहुंच जाती है।

इनमें से किसको पकड़े, किसको छोड़े? कोई सिस्टम किसी को बता भी दो तो बहुत मुमकिन है वो उसको जमे ही नहीं। जो जमता नहीं है, वो कारगर भी नहीं होता और अधिकांश ट्रेडर नुकसान पर नुकसान झेलते चले जाते हैं। फिर समाधान क्या है? खुद फंड मैनेजर रह चुके और दुनिया में हेज फंड व फ्यूचर्स उद्योग के विशेषज्ञ जैक स्वागर ने बाज़ार के दिग्गज ट्रेडरों से विस्तृत बातचीत पर आधारित अपनी किताब ‘मार्केट विज़ार्ड्स’ में निष्कर्ष निकाला है कि, “सभी अच्छे ट्रेडरों की सबसे महत्वपूर्ण खासियत यह रही है कि उऩ्होंने खुद ऐसा सिस्टम या पद्धति बना डाली जो उनके लिए एकदम फिट थी।”

मित्रों! यही सच है। शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से धन बनाना इतना सरल नहीं है कि पांच-दस हज़ार में कहीं से टिप लेते रहे, दांव लगाते रहे और लाखों बन गए। टिप तो एक इनपुट है जो आपको सक्रिय करता है जिसका इस्तेंमाल आपको अपने अंदाज़ में करना होता है। एक प्रोफेसर हैं जिनका नाम लेने में फायदा नहीं क्योंकि उनके जैसे लोग कोलकाता की जाधवपुर यूनिवर्सिटी में भी हैं और मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) में भी। मुख्य रूप से निफ्टी फ्यूचर्स व ऑप्शंस में खेलते हैं। कहते हैं कि बाकी स्टॉक्स से मुझे मतलब नहीं। पिछले ही महीने 45 लाख रुपए का घाटा उठाया है। किश्तों पर चल रहा मकान गिरवी रखने की नौबत आ गई है। मेरे एक मजे हुए ट्रेडर मित्र से बोले कि तुम मुझे इस भंवर से निकालो। मेरे धन से ट्रेड करो और मुनाफा बांट लेंगे। उसने कहा कि प्रोफेसर साहब, आप कुछ दिन के लिए ट्रेडिंग बंद करके पढ़ो-लिखो, घूमो-टहलो, मौज करो। प्रोफेसर बोले – मैं ऐसा नहीं कर सकता। जब तक दो-चार घंटे स्क्रीन के सामने नहीं बैठता, ट्रेड नहीं करता, तब तक मुझे चैन नहीं पड़ता।

आप मुझे बताइए कि इस तरह के एडिक्शन का शिकार शख्स कैसे सम्यक नज़रिया रख सकता है? जिसका आत्मविश्वास इतना हिला हुआ हो, वह अपने लिए कोई ट्रेडिंग पद्धति कैसे सजा सकता है? लेकिन सफलता की असली कुंजी यही है। आप मुझे बताइए कि आप ट्रेडिंग करते हैं तो सामने भी तो कोई आप जैसा या आपसे भी तेजतर्रार शख्स बैठा होता है। उसका नुकसान आपका फायदा और आपका नुकसान उसका फायदा कराता है। ऐसे में कैसे यह संभव है कि आप ही हमेशा जीतेंगे? यह शतरंज का भी खेल नहीं कि कोई विश्वनाथन आनंद बन जाए। आनंद राठी जैसा कल का दिग्गज आज जो भी सलाहें फेंकता है, बाज़ार उसका उल्टा बरताव करता है। राकेश झुनझुनवाला तक भी बार-बार गच्चा खाते रहे हैं।

गिनाने को मैं गिना सकता हूं कि पहले 5 दिन, 13 दिन और 20 दिन के ईएमए के साथ 50, 75, 100, 200 दिन के एसएमए के साल, तिमाही, हफ्ते से लांग टर्म ट्रेंड देखो। दैनिक व इंट्रा-डे चार्ट से एंट्री प्वाइंट निकालो। तीन-चार दिन के लिए स्टॉकैस्टिक और पांच-दस दिन के लिए आरएसआई का सहारा लो। अब कैंडलस्टिक क्या कहते हैं, इसे समझो। इसके बाद संस्थागत निवेशकों (एफआईआई, बैंक, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों) की अगली चाल का अंदाज़ा निकालने के लिए डिमांड-सप्लाई का समीकरण समझो। और, फिर तगड़े स्टॉप लॉस के साथ ट्रेड में कूद पड़ो।

लेकिन ऐसे ही तौरतरीकों से तो हर दिन हज़ारों ट्रेडर पूरा दिलदिमाग लगाकर ट्रेडिंग करते हैं। उन्होंने भी सब कुछ पढ़कर घोख रखा होता है। उनसे हम बाज़ी मारेंगे, तभी कमाएंगे। अगर आप दूसरे से एक फीसदी भी ज्यादा स्मार्ट हैं तो बाज़ार से नोट बनाएंगे। नहीं तो प्रोफेसर साहबानों की तरह लाखों गंवाकर विलाप करते रहेंगे। बड़ी निर्मम दुनिया है यह। कोई न कोई टिप तो हर ट्रेडर के पास होती है। टेक्निकल एनालिसिस वो भी जानता है। नहीं तो दस-बीस हज़ार खर्च करके सीख लेगा। आपके पास उससे अलग, एक्स्ट्रा क्या है?

वो हैं खुद आप। जानकार कहते हैं जिस दिन आत्ममोह से निकलकर आप अपने को समझ लेते हों, अपने भावनात्मक और बौद्धिक संतुलन को जान लेते हो, उसी दिन से ट्रेडिंग भी आपको समझ में आ जाती है। अरे! सामने हमारे-आप जैसे ही लोग तो हैं जिन पर बाज़ी मारकर हमें धन कमाना है। जब आप अपनी मानसिकता को समझ जाते हैं तो दूसरों की मानसिकता को भी समझना आसान हो जाता है। निवेश और ट्रेडिंग में सफलता के लिए किसी भी अन्य कारक से ज्यादा ज़रूरी है आत्म-नियंत्रण, अपनी भावनाओं पर कंट्रोल, अहंकार पर काबू। यहां हठी विक्रमादित्य बनने से काम नहीं चलता। नहीं तो भूत बनकर आप खुद पेड़ से लटक जाओगे। जो ट्रेडर अपने ऊपर इस तरह का नियंत्रण हासिल कर पाते हैं, अंततः जीत उन्हीं की होती है।

इस नियंत्रण को हासिल करने के लिए दूसरों के अनुभव को देखना-परखना और पढ़ना ज़रूरी है। पिछले कॉलम में मैंने तीन किताबों का लिंक दिया था। उन्हें पढ़ते रहिए। चाहें तो ऊपर दिए गए लिंक से जैक स्वागर की किताब भी डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं। एक नई किताब का लिंक नीचे है। इसका नाम है ट्रेड योर वे टू फाइनेंशियल फ्रीडम और इसके लेखक हैं वैन थार्प। यह भी बड़े काम की किताब है।

Trade Your Way to Financial Freedom – Van Tharp

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