देश इस समय खतरनाक व नाजुक स्थिति में है। सरकार में एक व्यक्ति की मनमानी चल रही है। संविधान ताक पर रख दिया है। हर तरफ छल-प्रपंच व झूठ व बोलबाला है। सच्चाई सामने नहीं आ रही। अर्थनीति को राजनीति का ग्रहण लग गया है। पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से लेकर 2047 तक भारत को विकसित देश बना देने के शोर के बीच यह सच्चाई छिपा ली जा रही है कि 2014 से 2023 तक के नौ साल में हमारी अर्थव्यवस्था की सालाना औसत विकास दर 5.7% रही है, जबकि 2004 से 2014 तक उसकी औसत विकास दर 7.5% रही थी। कहा जा रहा है कि इस बार औसत विकास दर इसलिए कम दिख रही है क्योंकि बीच में कोरोना की महामारी आ गई थी। लेकिन पहले भी तो 2008 का भयंकर वैश्विक वित्तीय संकट आया था। तब भारत पर खास फर्क नहीं पड़ा। मगर, इस बार नोटबंदी व गलत जीएसटी की मार के बाद कोरोना में नासमझ लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी। समझदारी से काम लिया गया होता तो भारत तीन साल बाद नहीं, बल्कि अभी ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया होता। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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