डायरेक्ट टैक्स कोड बिल या प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक सोमवार को संसद में पेश कर दिया है। लेकिन अपेक्षा के विपरीत इसे अप्रैल 2011 के बजाय अप्रैल 2012 से लागू किया जाएगा। माल व सेवा कर (जीएसटी) लागू करने की तिथि पहले ही आगे खिसकाने का आधार बन चुका है। इस तरह प्रत्यक्ष व परोक्ष कर से जुड़े दो अहम सुधार साल भर आगे खिसका दिए गए हैं। पहले कहा जा रहा था कि पेश करने के बाद इसे संसद की प्रवर समिति को भेजा जाएगा। लेकिन अब इसे स्थाई समिति को भेजने का फैसला हुआ है।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 319 अनुच्छेदों वाला यह विधेयक लोकसभा में पेश किया। इसमें कंपनियों के लिए आयकर की दर 33.2 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी करने का प्रस्ताव है। साथ ही व्यक्तिगत आयकर मुक्ति की सीमा 1.6 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दी गई है। लेकिन 2 लाख से 5 लाख, 5 लाख से दस लाख और दस लाख के ऊपर आय के तीन स्लैब बना दिए गए हैं। इन पर क्रमशः 10, 20 और 30 फीसदी की दर से टैक्स लिया जाएगा।
इस समय 1.6 लाख से 5 लाख तक की आय पर 10 फीसदी, 5 लाख से 8 लाख पर 20 फीसदी और 8 लाख के ऊपर 30 फीसदी टैक्स लगता है। जानकारों का आकलन है कि साल भर में दस लाख से ज्यादा कमानेवाले नए विधेयक के अपना लिए जाने के बाद 41,040 रुपए का टैक्स बचा लेंगे। इसी तरह 5 से दस लाख की आय वालों पर टैक्स का बोझ 21,540 रुपए और 2 से 5 लाख की आय वालों पर टैक्स का बोझ 7660 रुपए घट जाएगा।