भाई! अब तो छोड़ दो तेल का फच्चर

बाजार में कदमताल जारी है। उठता है। गिरता है। बढ़ता है। पीछे आता है। फिर बढ़ जाता है। लेकिन एक बात साफ है कि बाजार से जबरदस्ती खेलने का दौर अब खत्म होता दिख रहा है क्योंकि जहां निफ्टी को सायास दबाकर रखा जा रहा है, वहीं इसमें शामिल स्टॉक्स की खरीद शुरू हो गई है। यह इशारा इस बात का है कि बाजार अब अपनी तलहटी पकड़ चुका है।

हालांकि ट्रेडरों में इस समय ताजातरीन सोच यह है कि शॉर्ट सेलिंग में आसानी से पैसा बनाया जा सकता है और ज्यादातर ट्रेडर शॉर्ट सौदों में कमाई का अच्छा मौका देख रहे हैं। उनको इस खेल में मजा भी आ रहा है। यह बाजार के दूरगामी स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। फिलहाल चूंकि पलड़ा शॉर्ट सेलर्स के पक्ष में ज्यादा झुका हुआ है। इसलिए निफ्टी पलक झपकते ही गिर जाता है और जैसे ही शॉर्ट कवरिंग शुरू होती है, झटपट बड़ी शान से उठ खड़ा होता है। इससे बाजार के ऊपर-नीचे जाने का सिलसिला तेज हो गया है।

पहले हमने आपको बताया कि कैसे कच्चे तेल का संकट इतना भारी नहीं पड़ेगा जितना शोर मचाया जा रहा है। कारण, अप्रैल से सप्लाई मांग से ज्यादा होने जा रही है। दूसरे भारत व चीन में पहले से ही तीन से छह महीने भर का तेल बचाकर रख रखा है। अब गोल्डमैन सैक्श ने भी कच्चे तेल पर रिपोर्ट जारी कर दी है जिसमें कहा गया है कि विश्व स्तर पर इसकी इनवेंटरी या जमा भंडार आराम से 100 दिनों भर का है। इस बीच मॉरगन स्टैनले भी एक रिपोर्ट ला चुका है कि भारतीय शेयर बाजार पर कच्चे तेल का ज्यादा असर नहीं पड़ता। इस तरह तेल की चिंता काटनेवाली तीन रिपोर्टें आपके सामने हैं।

फिर कुछ बाजार में तेल का फच्चर फंसाए हुए हैं। चलता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सब चलता है। लेकिन सब चलने के बीच में आपकी असली दौलत होती है आपका नीर-क्षीर विवेक। इसे हासिल करने पर जोर दीजिए। बाकी दौलत संभालने की दृष्टि अपने-आप आ जाएगी। वैसे भी तो हम आपकी धन-दौलत के मैनेजर नहीं हैं। इसलिए सचमुच नहीं बता सकते कि आप इस धन-दौलत को कैसे संभाले, कहां लगाएं। लेकिन एक चीज हम आपको जरूर बता सकते हैं कि अगले कुछ हफ्तों में शेयर बाजार में सब कुछ दुरुस्त हो जाएगा। आपने नवंबर 2010 के लेकर अब तक तकलीफ उठाई है तो, चंद दिन और काट लीजिए। फिर, मेरा यकीन मानिए, सब कुछ भला-चंगा हो जाएगा।

जैसे ही हम अपनी तर्क-शक्ति को किनारे रख कुर्सी पर बैठे शख्स पर अंध-भक्ति करने लगते हैं, उसकी सारी बातों को सही मानते लगते हैं, ठीक उसी दिन से हमारे दुर्दिन की शुरुआत हो जाती है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

1 Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *