एनएसई का निफ्टी-50 सूचकांक 26 मई 2023 से 26 सितंबर 2024 तक के 16 महीनों में 41.71% छलांग लगाने के बाद पिछले एक महीने में ही 7.76% गिर चुका है। वहीं, एक महीने में चीन का शांघाई कम्पोजिट सूचकांक 9.96% बढ़ चुका है। वजह बड़ी साफ है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारतीय शेयर बाज़ार से निवेश निकालकर चीन के शेयर बाजार में लगा रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या अपना बाज़ार एफपीआई के निकलने का सारा असर सोख चुका है? जानकार कहते हैं कि गिरावट दो महीने तक चल सकती है। हो सकता है कि दिग्गज कंपनियों के शेयर और सस्ते हो जाएं। लेकिन पिछले पांच साल में शेयर बाज़ार में उतरे उन तीन-चौथाई निवेशकों का सदमा कम होता नहीं दिख रहा जिन्होंने अब तक तेज़ी ही तेज़ी देखी थी। बता दें कि दिसंबर 2019 तक देश में कुल 3.94 करोड़ डीमैट खाते थे। सितंबर 2024 तक इनकी संख्या 17.54 करोड़ हो चुकी है। मतलब 77.54% डीमैट खाते पिछले पांच साल में ही खुले हैं। समझना ज़रूरी है कि शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव आना लाज़िमी है और हमें मूल्यवान कंपनियां खोजकर उनमें सस्ते भाव पर निवेश करना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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