भारी उद्योग मंत्रालय ने केंद्र सरकार की उन सभी कंपनियों को नए सिरे से आंकने का हुक्म सुनाया है जिन्हें मिनीरत्न का दर्जा मिला हुआ है। मंत्रालय से संबद्ध सार्वजनिक उद्यम विभाग ने सभी मंत्रालयों व विभागों को निर्देश दिया है कि वे अपने प्रशासनिक नियंत्रण वाली मिनीरत्न कंपनियों की परख करें कि वे मिनीरत्न के लिए निर्धारित मानदंडों पर खरी उतरती हैं या नहीं।
मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार संबंधित मंत्रालय व विभाग खुद संतुष्ट होने पर किसी सार्वजनिक उद्यम को मिनीरत्न का दर्जा दे सकते हैं। मिनीरत्न का ओहदा देने के लिए कंपनी ने कम से कम तीन गैर-सरकारी निदेशकों की नियुक्ति एक पूर्व शर्त है।
मंत्रालय व विभागों से कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि क्या मिनीरत्न कंपनी पिछले तीन सालों के कामकाज के आधार पर आवश्यक मानदंडों को लगातार पूरा कर रहा है। अगर केंद्र सरकार की कोई कंपनी निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करती तो सार्वजनिक उद्यम विभाग को सूचना देते हुए उसे मिनीरत्न के दर्जे से वंचित करने का आदेश तुरंत जारी किया जाए। भविष्य में मिनीरत्न दर्जा देने के आदेश की एक प्रति सार्वजनिक उद्यम विभाग को भेजी जाए।
कहा गया है कि मिनीरत्न कंपनी के निदेशक बोर्ड में न्यूनतम तीन गैर-सरकारी निदेशक न होने के मामले में अपेक्षित संख्या में गैर-सरकारी निदेशक नियुक्त करने का प्रस्ताव पेश किया जाए। सभी संबंधित मंत्रालयों से इस बाबत विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक उद्यम विभाग में 15 जनवरी, 2012 तक भेजने को कहा गया है।