मुद्रास्फीति की ऊंची दरों के चलते अब डीजल के दाम बढ़ाने का फैसला अगले वित्त वर्ष तक टाला जा सकता है। यह कहना है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन का। उन्होंने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट को बताया कि, “शायद मार्च 2011 तक अगर मुद्रास्फीति की दर 6 फीसदी के आसपास आ जाती है तो उस वक्त संभवतः डीजल के मूल्यों को बढ़ाया जा सकता है।”
पिछले हफ्ते इस मुद्दे पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह की बैठक ऐन वक्त पर टाल दी गई थी। उस बैठक में डीजल के दाम दो रुपए प्रति लीटर बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार होना था। अभी तक नई बैठक की तारीख की कोई घोषणा नहीं की गई है। सरकार का कहना है कि तेल विपणन कंपनियां इस समय प्रति लीटर डीजल पर 6.99 रुपए का घाटा उठा रही हैं।
इस बीच सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की तेल कंपनियों के संगठन पेट्रोफेड ने कच्चे तेल और उसके उत्पादों व प्राकृतिक गैस को माल व सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में शामिल करने को कहा है। पेट्रोफेड में इंडियन ऑयल कारपोरेशन और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियां शामिल हैं। संगठन ने सरकार को पत्र लिखकर कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन (एटीएफ) और प्राकृतिक गैस को जीएसटी में शामिल करने की मांग की है। जीएसटी सितंबर 2011 से अमल में आ सकता है।
वित्त मंत्रालय के मसौदे में कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस को स्थायी रूप से जीएसटी के बाहर रखने का प्रस्ताव है। राज्यों को तेल उत्पादों पर शुल्क लगाने से भारी मात्रा में होने वाली आय को बचाने के इरादे से यह कदम उठाया गया है। पेट्रोफेड के महानिदेशक ए के अरोड़ा ने 30 नवंबर को पेट्रोलियम सचिव एस सुंदरेशन को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘हम निरंतर पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में शामिल किए जाने की मांग कर रहे हैं। यह उद्योग के बेहतर विकास के लिए जरूरी है।’’