तिलिस्म इतना घना है कि कई निष्पक्ष अखबार तक अभिभूत हैं कि भले ही यह अंतरिम बजट चुनावों के बाद पूरा बजट पेश करने तक के रूटीन खर्च के लिए लेखानुदान था। फिर भी मोदी सरकार ने राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हुए किसी लोकलुभावन उपाय की ज़रूरत नहीं समझी और चुनावी हित के बजाय ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र का पालन किया। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने इसे देश के भविष्य निर्माण का बजट बताया और कहाऔरऔर भी