मार्क मोबियस उभरते बाज़ारों पर दांव लगानेवाले नामी-गिरामी फंड मैनेजर हैं। उनकी उम्र 87 साल को पार कर चुकी है। वे लगभग 30 करोड़ डॉलर का निवेश संभालते हैं। उनका निवेश भारत, कोरिया, ताइवान, तुर्किए, दक्षिण अफ्रीका व ब्राज़ील तक फैला है। लेकिन सबसे ज्यादा निवेश उन्होंने भारत में कर रखा है तो जाहिरा तौर पर यहां के शेयर बाज़ार में जितनी तेज़ी होगी, मोबियस को उतना ही ज्यादा फायदा होगा। मोबियस कहते हैं कि वे भारतऔरऔर भी

चीनी ज़मीन पर पड़ी हो तो हर तरफ से चीटियों का झुंड उमड़ पड़ता है। इसी तरह जहां ज्यादा रिटर्न की गुंजाइश हो, वहां दुनिया भर के निवेशक टूट पड़ते हैं। लेकिन अपने शेयर बाज़ार में जुलाई के अंतिम हफ्ते से ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) खरीदने से ज्यादा बेचे जा रहे हैं। शेयर बाजार के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक 24 जुलाई से 29 सितंबर तक उन्होंने कैश सेगमेंट से 50,988.69 करोड़ रुपए निकाले हैं। हालांकि एनएसडीएलऔरऔर भी

भारत दुनिया की सबसे ज्यादा तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता। लेकिन हमारी प्रति व्यक्ति आय अब भी वैश्विक औसत से कम है। सवाल है कि इस स्थिति को जल्दी से जल्दी कैसे बदला जाए और देश की विशाल युवा आबादी की आकांक्षाओं को कैसे पूरा किया जाए? जवाब है कि अर्थव्यवस्था को विश्वस्तर पर ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाकर। अभी हमारे यहां उत्पादों के आने-जाने में बहुत ज्यादा समय औरऔरऔर भी