सारे एक्जिट पोल गलत निकले। बस, एक्सिस-एड प्रिंट मीडिया का एक्जिट पोल ही सही निकला जिसमें उसने बिहार में महागठबंधन को 169 से 183 और एनडीए को 58 से 70 सीटें मिलने की बात कही थी। वही हुआ। पर, टीवी18 समूह ने उसे दिखाया नहीं क्योंकि वो उनकी सोच से मेल नहीं खाता था। भविष्य की गणना में ऐसी भूलचूक का होना स्वाभाविक है। शेयर बाज़ार भी इसका अपवाद नहीं है। अब पकड़ते हैं सोम का व्योम…औरऔर भी

बाज़ार का गिरना लंबे समय के निवेशकों के लिए अक्सर अच्छा होता है क्योंकि इस दौरान तमाम मजबूत कंपनियों के शेयर भी गिर जाते हैं। ऐसे मौके पर इन्हें पकड़ लेना मुनाफे का सौदा साबित होता है। आज हम तथास्तु में ऐसी कंपनी पेश कर रहे हैं, मजबूती के बावजूद जिसके शेयर गिरकर इधर अपने अंतर्निहित मूल्य के काफी करीब पहुंच गए हैं। इसमें अभी निवेश करना तीन साल में 35% से ज्यादा रिटर्न दे सकता है।औरऔर भी

कैलिफोर्निया के एक प्रोफेशनल ट्रेडर हैं। बड़े बैंकों व संस्थाओं में रह चुके हैं। बड़ी ईमानदारी से डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग की सलाह देते हैं। हाल ही उन्होंने निफ्टी ऑप्शंस में अल्गो-आधारित ट्रेडिंग सेवा शुरू की है। साल का सब्सक्रिप्शन एक लाख रुपए। हाल के उनके वेबिनार में सवाल उठे कि उनकी पुरानी सलाहें लगातार पिट क्यों रही हैं? सबक यह कि ट्रेडिंग में कोई भी अकाट्य नहीं; दूसरा मदद भर कर सकता है। अब शुक्र का अभ्सास…औरऔर भी

ट्रेडिंग में दिक्कत यह है कि इसमें बड़ी पूंजी चाहिए। कम से कम 50,000 रुपए महीने। फ्यूचर्स व ऑप्शंस में ट्रेड करना है तो उसमें सौदे का न्यूनतम आकार अब पांच लाख रुपए हो गया है। ऐसे में समझिए कि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। इसलिए ट्रेडिंग उन्हें ही करनी चाहिए जिन्होंने बड़े अभ्यास व जतन से खुद अपना सिस्टम विकसित कर लिया हो। यहां भी महारथी तक अभिमन्यु को नहीं बचा पाते। अब पकड़ें गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

ट्रेडिंग अगर जम जाए तो महीने में ही 10-15% कमाया जा सकता है। लेकिन ज्यादा रिटर्न अपने साथ ज्यादा रिस्क भी लाता है। ट्रेडिंग में रिस्क रहता है कि आपकी सारी पूंजी ही डूब जाए। इसके बावजूद कोई सामान्य निवेशक बाज़ार में निवेश व ट्रेडिंग दोनों का फायदा उठाना चाहता है तो बेहतर यही होगा कि वो अपने धन का 95% निवेश के लिए रखे और केवल 5% ट्रेडिंग में लगाए। अब आजमाते हैं बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी