कहते हैं कि बाजार पीछे नहीं, आगे देखता है। लेकिन 105 साल के लंबे इतिहास वाले अच्छे-खासे जमे-जमाए कॉरपोरेशन बैंक में बाजार को ऐसा क्या दिख रहा है जो इसका शेयर दस महीने में घटकर आधा रह गया। जी हां, कॉरपोरेशन बैंक का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 3 नवंबर 2010 को 814.85 रुपए तक चला गया था। लेकिन महीने भर पहले 23 अगस्त 2011 को 411 रुपए तक गिर गया। अब भी लगभग उसी स्तर के आसपास चल रहा है।
कल बीएसई (कोड – 532179) में 1.13 फीसदी घटकर 419.65 रुपए और एनएसई (कोड – CORPBANK) में 1.40 फीसदी घटकर 417.70 रुपए पर बंद हुआ है। इस साल जून तिमाही के (स्टैंड एलोन) नतीजों के बाद उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 96.60 रुपए है। उसका शेयर मात्र 4.34 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू उसके बाजार भाव से ज्यादा 481.86 रुपए है। इसमें कोई भी गोपनीय जानकारी नहीं है। शेयर बाजार में निवेश करनेवाला हर शख्स इसे देख सकता है। फिर भी कॉरपोरेशन बैंक में खरीद क्यों नहीं आ रही? क्यों नहीं यह सिंडीकेट बैंक की तरह 5.23, इंडियन बैंक की तरह 5.36, बैंक ऑफ बड़ौदा की तरह 7.08, पंजाब नेशनल बैंक की तरह 6.87 या एसबीआई की तरह 17.86 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो सकता?
लेकिन क्या कीजिएगा! हम बाजार को कोई भाव देने के लिए मजबूत नहीं कर सकते। उसने जब जिसको अपनी नजर में जितना चढ़ाना है, चढ़ाता है। और, गिराना है तो गिरा भी देता है। कॉरपोरेशन बैंक तो वही है। उसकी वित्तीय स्थिति भी वैसी ही मजबूत है। फिर भी साल भर पहले नवंबर में बाजार इसे ईपीएस का 10.31 गुना भाव दे रहा था, अब 4.34 गुना भाव दे रहा है। पहले नजर में चढ़ाया था। अब गिरा दिया है। बाकी बैंक का धंधा दुरुस्त चल रहा है। उसको कोई खास डेंट नहीं आई है।
ब्रोकरेज फर्म एडेलवाइस के डाटाबैंक के मुताबिक पिछले तीन सालों में उसकी आय 26.46 फीसदी और शुद्ध लाभ 23.69 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी परिचालन आय 30.73 फीसदी बढ़कर 9135.25 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 20.77 फीसदी बढ़कर 1413.27 करोड़ रुपए हो गया। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में जून की तिमाही में उसकी ब्याज से हुई कमाई में 49.85 फीसदी का इजाफा हुआ और वह 2978.32 करोड़ रुपर पर पहुंच गई। लेकिन शुद्ध लाभ केवल 5.29 फीसदी बढ़कर 351.45 करोड़ रुपए पर पहुंच सका।
कम वृद्धि इसलिए क्योंकि जहां पिछले साल की जून तिमाही में उसे ग्राहकों की जमा पर 1330.16 करोड़ रुपए का ब्याज देना पड़ा था, वहीं इस बार उसे 2270.76 करोड़ रुपए देने पड़े हैं। असल में ब्याज दरें बढ़ने के दौर में यही होता है। बैंक उद्योग या अन्य ग्राहकों से ज्यादा ब्याज तो लेते हैं। लेकिन उन्हें जमाकर्ता को भी ज्यादा ब्याज देना पड़ता है। यहीं पर बैंक का असली खेल होता है कि वह अपना एनआईएम (नेट इंटरेस्ट मार्जिन) कैसे बरकरार रखता है या बढ़ाता है।
जून तिमाही में कॉरपोरेशन बैंक का एनआईएम 2.10 फीसदी रहा है। बैंक के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक रामनाथ प्रदीप के मुताबिक इस साल का औसत शुद्ध ब्याज मार्जिन 3 फीसदी कर देने का लक्ष्य है। इसके लिए जहां ज्यादा ब्याज वाले एफडी कम किए जाएंगे, वहीं बैंक की कुल जमा में कासा (चालू व बचत खाता) का हिस्सा बढ़ाया जाएगा। 2010-11 में बैंक की कुल जमा में कासा का हिस्सा 25 फीसदी से थोड़ा ऊपर था। लेकिन जून 2011 की तिमाही में यह घटकर 21 फीसदी पर आ गया। यह यकीनन बैंक का कमजोर पहलू क्योंकि कासा जमा किसी बैंक के लिए धन का सबसे सस्ता साधन है। चालू खाते पर उसे कोई ब्याज नहीं देना होता, जबकि बचत खाते पर भी मात्र 4 फीसदी ब्याज देना पड़ता है।
वैसे तो रामनाथ प्रदीप का कहना है कि वे कॉरपोरेशन बैंक की कुल जमा में कासा का हिस्सा 30 फीसदी तक पहुंचा देंगे। लेकिन देखिए, हकीकत में क्या होता है। बैंक लाभांश देने में उस्ताद रहा है। उसका लाभांश यील्ड 4.77 फीसदी के शानदार स्तर पर है। बैंक की कुल 148.14 करोड़ रुपए की इक्विटी का 58.52 फीसदी हिस्सा सरकार के पास है, बाकी 41.48 फीसदी पब्लिक के पास। एफआईआई के पास इसके 4.68 फीसदी और डीआईआई के पास 30.78 फीसदी शेयर हैं। इस तरह बाकी आम लोगों के पास इसके मात्र 6.02 फीसदी शेयर हैं। इससे तो यही लगता है कि संस्थागत निवेशकों की सक्रियता ही इस शेयर में चाल ला सकती है। लेकिन लंबे निवेश, मतलब कम से कम पांच साल के लिए मामला दुरुस्त है।
हां, अंत में एक दिलचस्प तथ्य। कॉरपोरेशन बैंक की स्थापना 12 मार्च 1906 को कर्नाटक में मंदिरों के शहर उडुपी में हुई। तब उसके पास मात्र 5000 रुपए की पूंजी थी। आज उसकी कुल आस्तियां 1,39,906 करोड़ रुपए पर पहुंच चुकी हैं।