कांग्रेस ने अपना अमंगल कर रहे दो दागी नेताओं से मंगलवार की सुबह-सबह निजात पा ली। जहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण से इस्तीफा ले लिया गया है, वहीं सुरेश कलमाडी को कांग्रेस संसदीय दल के सचिव पद से मुक्त होना पड़ा है। इन दोनों नेताओं ने बाकायदा अपने इस्तीफे सौंप दिए हैं और इन्हें तत्काल प्रभाव से स्वीकार भी कर लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आगे बढ़कर इन नेताओं को किनारे लगाया है। इसका मकसद संसद के शीत सत्र में सरकार व पार्टी को विपक्ष के हमलों से बचाना है।
अशोक चव्हाण मुंबई के बदनाम आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले के पहले शिकार हुए हैं। आलाकमान का संदेश मिलने के फौरन बाद वे महाराष्ट्र के राज्यपाल के शंकरनारायणन से मिले और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। राज्यपाल ने बिना किसी हिचक के उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया। आदर्श हाउसिंग सोसायटी में अशोक चव्हाण की सास और दो अन्य रिश्तेदारों को फ्लैट मिले हुए हैं। 30 अक्टूबर को यह बात सामने आने के बाद ही चव्हाण के जाने की चर्चाएं चल रही थीं। इस घोटाले पर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और रक्षा मंत्री ए के एंटनी को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने राजनीतिक नुकसान के बचने के लिए उन्हें पहले ही निपटा दिया।
सुरेश कलमाडी को हटाने का मौका कांग्रेस काफी पहले से तलाश रही थी। राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में हुए भ्रष्टाचार के क्रेंद में रहे हैं कलमाडी और आयोजन समिति का अध्यक्ष होने के नाते इस भ्रष्टाचार का सारा दारोमदार उन्हीं पर रहा है। खेलों की समाप्ति के बाद कलमाडी ने अपने को बचाने की भरपूर कोशिश की। लेकिन मध्यवर्ग में अपनी छवि को लेकर काफी संवेदनशील रहनेवाली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनको निकालने में ही भलाई समझी क्योंकि कलमाडी को सभी लोग भ्रष्ट मान चुके हैं और उसके लिए किसी जांच रिपोर्ट की जरूरत किसी को नहीं महसूस होती।
वैसे, विपक्ष इन कदमों के बावजूद यूपीए सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संसद में घेरेगा। मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और उसे इतनी आसानी से नहीं बख्शा जा सकता।