बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) ने प्रस्ताव रखा है कि लोगों को झांसा देकर बीमा पॉलिसी बेचनेवाले एजेंट का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। तमाम बीमा कंपनियों की बहुत-सी पॉलिसियों का नवीनीकरण न होने की बढती समस्या के कारण इरडा ने यह प्रस्ताव किया है। बीमा नियामक का प्रस्ताव है कि अगर किसी एजेंट द्वारा बेची गई 50 फीसदी पॉलिसियों का सालाना नवीकरण नहीं होता है तो उस एजेंट का लाइसेंस रद्द कर दिया जाए।
इरडा ने एक मसौदे में यह बात कही है। इसमें कहा गया है कि सालाना निरंतरता दर 50 फीसदी से कम रहने पर सम्बद्ध एजेंसी के लाइसेंस का नवीकरण नहीं किया जाना चाहिए। यहां बीमा पॉलिसी की गलत ब्रिकी या मिस-सेलिंग से आशय निवेशक को समुचित जानकारी दिए बिना ही पॉलिसी बेचना है। ऐसे में निवेशक एक बार तो पॉलिसी खरीद लेता है लेकिन वइ इसका नवीनीकरण नहीं करवाता। इससे बीमा कंपनियों की ग्राहक संख्या हर साल बदलती रहती है।
मसौदे में नियामक ने एजेंटों के लिए पहले साल की प्रीमियम आय और हर साल बेची जानेवाली पॉलिसियों की संख्या तय करने का भी प्रस्ताव किया है। इरडा का सुझाव है कि हर बीमा एजेंट को प्रति वर्ष कम से कम 20 नई पॉलिसियों बेचनी चाहिए और उसके द्वारा जुटाई पहले साल की प्रीमियम आय 1.50 लाख रुपए से कम नहीं होनी चाहिए। नियामक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2009-10 में बहुत-सी बीमा कंपनियों की आधी से ज्यादा पॉलिसियों का नवीनीकरण नहीं हुआ है।