ऑप्शन सौदे से पहले चार का ध्यान

ऑप्शन ट्रेडिंग करते वक्त आपको चार बातों का फैसला करना होता है। पहला यह कि आपके लिए निफ्टी या बैंक निफ्टी के ऑप्शंस में ही ट्रेड करना ज्यादा मुनासिब व आसान होगा। दूसरा यह कि आपको किस स्ट्राइक मूल्य का ऑप्शन लेना है। तीसरा यह कि आपको क़ॉल ऑप्शन खरीदना है या पुट ऑप्शन। और, चौथा यह कि आपको कब ऑप्शन खरीदना है, नए सेटलमेंट की शुरुआत में, बीच में या एक्सपायरी के पहले वाले हफ्ते में।

वैसे, अब चूंकि एनएसई ने इंडेक्स ऑप्शंस में साप्ताहिक सेटलमेंट की सुविधा हो गई है तो महीने के बजाय हफ्ते-हफ्ते के ऑप्शंस सौदे करना ज्यादा व्यावहारिक लगता है। महीने भर में निफ्टी कहां जाएगा, इसका अंदाज़ लगाने या गणना करने में अनिश्चितता की गुंजाइश अधिक है, जबकि हफ्ते भर की दशा-दिशा का अंदाज़ा अपेक्षाकृत ज्यादा आसानी से लगाया जा सकता है। लेकिन यह फायदा तो हर ट्रेडर को उपलब्ध होगा। फिर आप कैसे उन्हें मात दे पाएंगे? जवाब यही कि ट्रेडिंग में आप तभी जीतते हैं जब आप उन्नीस पर बीस पड़ते हैं। इसके लिए ऑप्शंस की पूरी डायनेमिक्स क पचा लेना ज़रूरी है।

लेकिन आज हम टेक्निकल या गणितीय समीकरणों में उलझने के बजाय कुछ सामान्य चीज़ों की ही चर्चा करेंगे। अभी कोरोना का दौर चल रहा है तो बाज़ार की वोलैटिलिटी (रोज के रिटर्न का स्टैंडर्ड डेलिएशन) ज्यादा ही बढ़ा हुई है। बाज़ार कभी खटाक से उछल जाता है तो कभी धराशाई हो जाता है। उसकी मध्यम चाल गायब हो गई लगती है। हालांकि कभी-कभी दो-चार दिन ठंडे भी चलते हैं। लेकिन भरोसा नहीं रहता कि कब तेज़ गिरावट या उछाल आ जाए। अगर आम दिनों की बात करें तो बाज़ार धीरे-धीरे बढ़ता है, जबकि गिरता है तो गिरता ही चला जाता है, जल्दी थमता ही नहीं।

बाज़ार में बिकवाली या गिरावट का दौर पुट ऑप्शन बेचनेवालों या राइटर के लिए बड़ा रिस्की होता है, जबकि पुट ऑप्शन खरीदनेवालों को कमाई का अच्छा मौका देता है। मान लीजिए कि कोरोना के फिर से उभरने या किसी अन्य वजह से बाज़ार में बिकवाली शुरू हो जाती है। हमने पिछले लेख में गिना था कि अभी बाज़ार में रिटर्न का जो स्टैंडर्ड डेविएशन है, उसके पहले चक्र में ही निफ्टी 7800 तक गिर सकता है, जबकि ऊपर में 10,100 तक मार कर सकता है। मान लीजिए कि निफ्टी 9200 के मौजूदा स्तर से 28 मई तक 7800 तक गिर गया तो 8500 के स्ट्राइक मूल्य के पुट ऑप्शन को 65 रुपए के भाव से खरीदने वाला जमकर मुनाफा कमा सकता है।

कल निफ्टी 9196.55 पर बंद हुआ है। इसका सबसे नजदीकी स्ट्राइक मूल्य 9200 का है। कल 9200 के स्ट्राइक मूल्य के इस कॉल ऑप्शन का अंतिम भाव 127.05 रुपए रहा है जो कल 14 मई 2020 को एक्सपायर हो रहा है। कल किसी ने इसके 38 लॉट (2850 शेयर) 127 रुपए के भाव से खरीदे हैं। इस तरह उसने इस सौदे में 3,61,950 रुपए का प्रीमियम अदा किया है। ब्रोकरेज और दूसरे शुल्क ऊपर से। जाहिर है कि उसे दो दिन में अच्छा-खासा मुनाफा कमाने की उम्मीद होगी।

ध्यान रहे कि कॉल ऑप्शन उसके धारक को स्ट्राइक मूल्य पर खरीदने का अधिकार देता है। अगर कल निफ्टी 9200 + 127 = 9327 के थोड़ा ऊपर बंद होगा, तब ब्रोकरेज वगैरह जोड़कर वह नो प्रॉफिट, नो लॉस की स्थिति में होगा। वहीं, निफ्टी अगर 2.15% से ज्यादा बढ़कर 9400 पर बंद होता है, तब उसे 2.08 लाख रुपए का फायदा हो जाएगा। लेकिन 9327 या उससे नीचे बंद हुआ तो उसके 3.61 लाख रुपए डूब जाएंगे। फिर भी बड़ा साहसी बंदा जिसने एक्सपायरी से दो दिन पहले इतना बड़ा दांव लगाया है।

अब कल 14 मई 2020 को एक्सपायर होनेवाले 9000 के स्ट्राइक मूल्य के पुट ऑप्शन पर गौर करते हैं। कल इस ऑप्शन का अंतिम भाव 37.75 रुपए रहा है। कल दो लोगों ने इसके पांच-पांच लॉट (375 शेयर) खरीदे हैं। एक ने 36 रुपए के भाव से और दूसरे ने 37.75 रुपए के भाव से। हम 36 रुपए के भाव से खरीदनेवाले का उदाहरण लेते हैं। उसने कुल 13,500 रुपए का प्रीमियम भरा है। इतना धन देने के बाद उसे 9000 रुपए की दर से निफ्टी को बेचने का अधिकार मिल गया है। लेकिन निफ्टी कल अगर 9000 के ऊपर बंद होता है तो निफ्टी को उससे कम स्ट्राइक मूल्य पर बेचने का अधिकार वह क्यों इस्तेमाल करेगा। ऐसे में उसके 13,500 रुपए डूब जाएंगे।

निफ्टी अगर 9000 – 36 = 8964 पर बंद हुआ, तब भी वह नो प्रॉफिट, नो लॉस की स्थिति में रहेगा। इससे बस उसका प्रीमियम निकल आएगा। उसको फायदा तभी होगा जब निफ्टी 8964 से नीचे बंद होता है। मान लीजिए कि निफ्टी करीब 3.26 प्रतिशत गिरकर 8900 पर बंद होता है, तब उसे 9000 – 8900 – 36 = 64 x 5 = 320 रुपए का फायदा होगा। 13,500 रुपए लगाकर 320 रुपए पाने पर मात्र 2.37 प्रतिशत रिटर्न!

बाज़ार में बहुत सारे लोग हैं जो एक्सपायरी के ठीक पहले वाले सप्ताह में ऑप्शन खरीदते या बेचते हैं। आम ट्रेडर शुरू में महीने भर का सौदा करते हैं तो थोड़ा अनुभव के बाद वे लोग ही साप्ताहिक सौदे में उतर प़ड़ते हैं। लेकिन कैश बाज़ार की ट्रेडिंग की तरह यहां भी सावधानी बरतने की ज़रूरत है कि जब खबरों की उथल-पुथल हो, मौद्रिक नीति आनी हो, बजट आना हो, कोई नीतिगत फैसला होना हो या बड़ी कंपनिय़ों के नतीजे आने हों, तब बाज़ार से दूर ही रहना चाहिए। अन्यथा, बड़े झटके में छोटे ट्रेडरों के बह जाने का प्रबल खतरा होता है।

वैसे, तमाम सावधानियों के बावजूद कोरोना जैसी आकस्मिक, अनपेक्षित वारदातें हो ही जाती हैं, इसलिए कहा जाता है कि शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग में सारी ज़रूरतों को पूरा करने के बाद बची हुई बचत का ज्यादा से ज्यादा 5 प्रतिशत हिस्सा ही लगाना चाहिए। नहीं तो आपका चहेता ब्रोकर कन्नी काट लेगा और आपको रोने के लिए किसी का भी कधा नहीं मिलेगा।

 

1 Comment

  1. The last lines are very true about the market.

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