संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) की बैठक में सोमवार को 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर तीखे मतभेद उठ खड़े हुए और विपक्षी दलों ने पूर्व महानिदेशक (ऑडिट) आर पी सिंह को बुलाने और उनसे यह पूछने की मांग की कि उन्होंने इस मामले में हुए नुकसान का आंकड़ा कैग (सीएजी या नियंत्रणक एवं महालेखापरीक्षक) के आंकड़े से अलग क्यों बताया। कांग्रेस सदस्यों ने इस मांग का विरोध किया।
मतभेद जारी रहने के कारण लोक लेखा समिति की बैठक स्थगित कर दी गई। छठ पूजा की वजह से कल मंगलवार को होने वाली बैठक भी टाल दी गई है। सूत्रों ने बताया कि बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों ने इस बात पर जोर दिया कि सिंह को बुलाया जाना चाहिए क्योंकि 2जी मामले में हुए नुकसान का जो आंकड़ा उन्होंने बताया है, वह सरकार के बताए आंकड़े से अलग है।
सिंह अब रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने कहा था कि 2जी मामले की वजह से 6000 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ जबकि कैग के अनुसार यह नुकसान 1.76 लाख करोड़ रूपए का है। बीजेपी के प्रकाश जावड़ेकर ने मांग की कि न केवल सिंह को बल्कि दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल को भी पीएसी में बुलाकर पूछा जाना चाहिए कि किस आधार पर उन्होंने यह कहा था कि इस मामले में कोई नुकसान नहीं हुआ है।
अन्नाद्रमुक सदस्य एम थम्बीदुरई ने कहा कि सीबीआई द्वारा बताया गया आंकड़ा भी अलग है। इसलिए एजेंसी के निदेशक को भी तलब किया जाना चाहिए। बीजेपी, बीजेडी, शिरोमणि अकाली दल और अन्नाद्रमुक ने कांग्रेस सदस्य संजय निरूपम के उस पत्र का भी संदर्भ दिया जिसमें निरूपम ने 2जी मामले पर चर्चा करने के लिए कहा है।
निरूपम के पत्र के जिक्र से असमंजस में आए कांग्रेस सदस्यों ने तर्क दिया कि आर पी सिंह को पीएसी की हर बैठक में मौजूद रहने वाले कैग और उसकी टीम के समक्ष पेश होने के लिए इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि वे इससे संबद्ध नहीं हैं। पीएसी में कांग्रेस के कुछ सदस्य बाद में यह कहते सुने गए कि निरूपम ने यह पत्र लिख कर अनावश्यक समस्या खड़ी कर दी। यह मामला अब संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में है और पीएसी इसे टाल सकती है।
विपक्षी सदस्यों ने मांग की कि सिंह सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उनके लिए डरने वाली कोई बात नहीं है। इसलिए वे पीएसी के सामने खुलकर बात रख सकते हैं। एक सदस्य ने तो यहां तक कहा कि कई मौके आए हैं जब समिति द्वारा तलब किए गए लोगों की राय कैग से अलग रही है।