अगर कोई शेयरधारक साल के बीच में अपना डीमैट एकाउंट किसी डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी) के पास बंद कराके दूसरे डीपी के पास ले जाता है तो पहले डीपी को शेयरधारक से लिए गए सालाना या छमाही एकाउंट मेंटेनेंस चार्ज (एमएमसी) का बाकी तिमाही का हिस्सा लौटाना होगा। पूंजी बाजार नियामक सस्था, सेबी ने गुरुवार को एक सर्कुलर जारी कर यह निर्देश दिया है।
अभी तक होता यह है कि डीपी साल या छमाही की शुरुआत में डीमैट खाते के संचालन के लिए शेयरधारक से एडवांस एएमसी इकट्ठा कर लेते हैं। इसके बाद अगर शेयरधारक अपना खाता बंद या शिफ्ट भी करवा देता है, तब भी बाकी अवधि में कोई सेवा न देने के बावजूद डीपी सारा शुल्क अपने पास रख लेते हैं। सेबी ने निवेशकों की तरफ से ऐसी शिकायतें मिलने के बाद ताजा कदम उठाया है।
लेकिन यह नियम उन डीमैट खातों के बारे में लागू नहीं होगा जिनके लिए डीपी हर महीने अपना शुल्क लेते हैं। यानी, यह छमाही या सालाना शुल्क भुगतान वाली व्यवस्था पर ही लागू होगा। साल की गिनती जिस तिमाही में डीमैट खाता खुलवाया गया है, वहीं से की जाएगी। सेबी ने इस बाबत दोनों डिजॉजिटरी संस्थाओ – एनएसडीएल और सीडीएसएल को निर्देश जारी किया है कि वे जल्द से जल्द यह जानकारी डीपी और डीमैट खाताधारियों तक पहुंचा दें।