अदालत ने 2जी मामले में एस्सार समूह के प्रवर्तक अंशुमन व रवि रूइया और लूप टेलिकॉम के प्रवर्तक आई पी खेतान व किरण खेतान को केवल एक दिन के लिए व्यक्तिगत रूप से अपने समक्ष न उपस्थित होने की छूट दे दी है। लेकिन अपनी राय स्पष्ट करते हुए सीबीआई की इस विशेष अदालत के न्यायाधीश ओ पी सैनी ने कहा, “चारों आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं होने की छूट केवल आज (बुधवार) भर के लिए है।”
रूइया और खेतान की तरफ से क्रमशः इस मामले में पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और पराग त्रिपाठी ने अलग-अलग अर्जी दायर कर अपने मुवक्किलों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने से छूट देने का अनुरोध किया था। वकीलों ने अपनी दलील में कहा कि उनके मुवक्किल संयुक्त अरब अमीरात में रहते हैं और उन्हें उपयुक्त तरीके से समन नहीं मिला है। आई पी खेतान व किरण खेतान ने खराब स्वास्थ्य के कारण भी मामले में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने में छूट की इल्तिजा की थी।
सरकारी वकील यू यू ललित ने कहा कि जांच एजेंसी इन लोगों की अर्जी का विरोध नहीं कर रही है। इसके बाद न्यायाधीश ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं होने की छूट दे दी। रोहतगी ने जिरह के दौरान कहा, “हमारे खिलाफ मामला भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत नहीं है, बल्कि हमने दिल्ली हाई कोर्ट के प्रशासनिक आदेश को भी चुनौती दी है जिसके बाद 2जी मामले की सुनवाई के लिए इस अदालत का गठन हुआ है। शीर्ष अदालत मामले पर एक मार्च को सुनवाई करेगी और उसका निर्णय हमारे खिलाफ होनेवाली सुनवाई का मंच और तरीका निर्धारित करेगा।”
उन्होंने कहा कि अगर हम जीतते हैं तो हमारे खिलाफ मामले की सुनवाई मजिस्ट्रेट करेंगे और अगर हम हारते हैं तो सुनवाई इसी अदालत में होगी। बहरहाल, एस्सार समूह के निदेशक (रणनीति व योजना) विकास सर्राफ ने अदालत के समक्ष पेश हुए और जमानत की अर्जी दायर की। इस पर अदालत ने सीबीआई से अपना जवाब देने को कहा और मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 मार्च की तारीख मुकर्रर की।
बता दें कि 2जी मामले में सीबीआई ने पिछले साल 12 दिसंबर को तीसरी चार्जशीट दाखिल की थी। इसके आधार पर विशेष अदालत ने पांच आरोपियों और तीन कंपनियों को सम्मन जारी किया। साथ ही, आरोपियों के उपस्थित नहीं होने पर अदालत ने 27 जनवरी को दोबारा समन जारी किया। आरोपियों का कहना था कि उन्हें समन मिला ही नहीं था।