इस समय यूलिप जैसे नए-नए बीमा उत्पादों में जिस-जिस तरह के शुल्क होते हैं, जैसी गणनाएं होती हैं, जिस तरह का बेनिफिट चार्ट पॉलिसी बेचने से पहले ग्राहक को समझाना प़ड़ता है, उससे ये इतने जटिल हो गए हैं कि गणित के अच्छे-खासे ग्रेजुएट के लिए भी इन्हें बेच पाना मुश्किल है। लेकिन इस समय देश में इन्हें हाईस्कूल से इंटर पास लोग तक बेच सकते हैं और बेच रहे हैं। कहने को बीमा एजेंट बनने केऔरऔर भी

अगर दांतेवाड़ा का नक्सली हमला एक महीने पहले हो जाता तो शायद सरकारी कंपनी एनएमडीसी का 10 से 12 मार्च तक खुला एफपीओ (फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर) एकदम सब्सक्राइब ही नहीं हो पाता क्योंकि कंपनी अपने लौह अयस्क का 80 फीसदी हिस्सा इसी जिले की खानों से निकालती है। वह कुल 290 लाख टन लौह अयस्क का उत्पादन करती है जिसमें से 220 लाख टन दांतेवाड़ा जिले की बैलाडीला और 70 लाख टन कर्णाटक की दोणिमिले खानोंऔरऔर भी

यह किसी आम आदमी का नहीं, बल्कि हिंदुस्तान टाइम्स समूह के बिजनेस अखबार मिंट के डिप्टी एडिटर स्तर के खास आदमी का मामला है। उनका नाम क्या है, इसे जानने का कोई फायदा नहीं। लेकिन उनके साथ घटा वाकया जानने से बीमा उद्योग का ऐसा व्यावहारिक सच हमारे सामने आता है जो साबित करता है कि इस उद्योग में निहित स्वार्थों का ऐसा नेक्सस बना हुआ है जिसका मकसद बीमा उद्योग या कंपनी का विकास नहीं, बल्किऔरऔर भी

देश के शेयर बाजारों में सूचीबद्ध 27 फीसदी कंपनियों में पिछले कई महीनों से कोई कारोबार नहीं हो रहा है। इनमें से ज्यादातर कंपनियों के प्रवर्तक अपने शेयर पहले ही बेचकर निकल चुके हैं। लेकिन लाखों आम निवेशक इनमें से ऐसा फंसे हैं कि न उनसे उगलते बन रहा है और न ही निगलते। करोड़ों के इस गड़बड़झाले पर न तो सेबी का कोई ध्यान है और न ही कॉरपोरेट मामलात इसे तवज्जो दे रहा है। बॉम्बेऔरऔर भी