सरकार ने चीनी मिलों से खरीदे जानेवाले इथेनॉल की अंतरिम कीमत 27 रुपए प्रति लीटर तय की है। यह अभी तक 21.50 रुपए प्रति लीटर थी। चीनी मिलों से यह इथेनॉल पेट्रोलियम तेल कंपनियां खरीदेंगी और इसे पेट्रोल के साथ मिलाकर बेचेगी। इस समय तेल कंपनियों के लिए पेट्रोल में 5 फीसदी इथेनॉल मिलाना अनिवार्य है, जिसे बढ़ाकर 10 फीसदी करने पर विचार किया जा रहा है।
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने सोमवार को इथेनॉल की कीमत बढ़ाने का फैसला किया। लेकिन उसका कहना है कि यह तदर्थ स्तर पर तय की गई कीमत है। अंतिम कीमत तय करने के बाद तेल कंपनियों को इसमें समायोजन करना होगा। यानी, उन्हें चीनी मिलों को इसके लिए ज्यादा कीमत भी देनी पड़ सकती है। तय हुआ है कि तेल डिपो तक इथेनॉल को पहुंचाने का काम तो चीनी फैक्ट्रियां ही करेंगी, लेकिन इसका सारा भाड़ा व टैक्स वगैरह तेल कंपनियों को देना होगा।
सरकार अभी निर्धारित कीमत के हिसाब से चलेगी, लेकिन योजना आयोग की सदस्य सुमित्रा चौधरी की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई गई है जो इथेनॉल का मूल्य तय करने का फॉर्मूला निकालेगी। बाद में इसी फॉर्मूले से वास्तविक कीमत का निर्धारण होगा और सरकार का इसमें कोई दखल नहीं रह जाएगा। इस कमिटी में तेल कंपनियों के अलावा चीनी उद्योग के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने का काम ईबीपी (इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रॉल) कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है। सरकार का कहना है कि इसका मकसद गन्ना किसानों को फायदा पहुंचाना है। लेकिन इसका सीधा फायदा चीनी कंपनियों को मिलेगा। इसी उम्मीद में सोमवार को तमाम चीनी कंपनियों के शेयरों में बढ़त दर्ज की गई। साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर देश की निर्भरता में कमी आएगी। अभी हम पेट्रोलियम पदार्थों की मांग का तकरीबन 80 फीसदी हिस्सा आयात से पूरा करते हैं।