2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के शासन वाली एनडीए सरकार को भी घसीट लिया है और 2001 से ही जांच कराने की बात की है। इसके बाद लगता है कि राजनीतिक गतिरोध आखिरकार अब खत्म हो जाएगा। घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की विपक्ष की मांग ठंडी पड़ जाएगी। थोड़ी आस बनने लगी है कि संसद में कामकाज शुरू हो जाएगा और इस मसले पर बहस हो सकेगी।
लेकिन बाजार की प्रतिक्रिया हाल-फिलहाल के घोटालों पर कुछ ज्यादा ही तल्ख रही है। वैसे, बड़ी पोजिशन या सौदे अभी पूर्ववत स्थिति में हैं। अभी तो ऐसा लगता है कि जैसे हम स्वीमिंग पूल की तलहटी पर पहुंच चुके हैं और यहां से गोता भी लगाएं तो किसी नई तलहटी का मिलना असंभव है।
जिन भी लोगों के पास भी कैश है, उनको मेरी सलाह है कि वे नोट उठाएं, लपक कर जाएं और तलहटी पर पहुंच गए अच्छे शेयरों को खरीद लें। वैसे, अपने अनुभव से मैं जानता हूं कि वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि बाजार जब बढ़ता है तभी इंशा-अल्ला उनकी खरीद होती है और बाजार में पस्ती के आलम में उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। एक बात तय है कि बाजार हर हाल में वापस उठेगा और तब ये शेयर आपको अपने-आप 15 से 20 फीसदी का मुनाफा करा जाएंगे। इधर हर तरफ उधार देने का मामला ठंडा पड़ चुका है। सभी ब्रोकरेज हाउसों ने एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) निवेशकों को दी जानेवाली फाइनेंसिंग घटा दी है। अब उनके पास केवल अपनी पूंजी ही बची है।
अगर मेरे ऊपर लक्ष्मी की कृपा हो तो मैं इस समय बाजार में कोल इंडिया को छोड़कर बाकी सब कुछ खरीद सकता हूं। हालांकि मेरे पक्के पसंदीदा दांव हैं – एसबीआई, टाटा स्टील, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), सेंचुरी टेक्सटाइल्स, आईएफसीआई, आईडीबीआई बैंक, एस्सार ऑयल, एचडीआईएल, कैम्फर, विमप्लास्ट, गिलैंडर्स, सैंडुर मैगनीज एंड आयरन ओर, बालासोर एलॉयज और इस्पात इंडस्ट्रीज। सूत्रों से पता चला है कि एलएन मित्तल ने इस्पात इंडस्ट्रीज में 10 फीसदी हिस्सेदारी वित्तीय संस्थाओं के जरिए खरीद ली है और जल्दी ही इसी तरीके से बाकी 31 फीसदी हिस्सेदारी भी हासिल करने जा रहे हैं। बालासोर एलॉयज भी इसी राह पर जानेवाली है।
आप यकीन मानिए कि जैसे ही बाजार का बुरा काल खत्म होगा, वो एक ही सत्र में 500 से ज्यादा अंक उछल जाएगा। ध्यान रखें, बाजार जब भी सुधरता है, वह खरीदने का कोई मौका नहीं देता।
अगर किसी समस्या का कोई समाधान नहीं है तो इसका मतलब यही हुआ कि वह समस्या नहीं, बल्कि ऐसी सच्चाई होगी जिसका कोई समाधान नहीं है और जिसे समय के साथ स्वीकार कर लेना पड़ेगा।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)