सोने की चमक नहीं लौटी अभी तक, अक्षय तृतीया पर निगाहें बाजार की

शुक्रवार, 16 मार्च को संसद में बजट पेश हुआ और 17 मार्च से देश भर के सर्राफा कारोबारी हड़ताल पर चले गए। हड़ताल पूरे 21 दिनों तक जारी रही। शुक्रवार, 6 अप्रैल को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के साथ मुलाकात में मिले आश्वासनों के बाद सर्राफा कारोबारियों ने हड़ताल तो तोड़ दी। लेकिन बाजार में रौनक अभी तक नहीं लौटी है।

उनकी इस हालत पर बाबा नागार्जुन की एक कविता याद आती है कि, “बहुत दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास। बहुत दिनों तक कानी कुतिया सोई उसके पास। बहुत दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त। बहुत दिनों  तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त। चमक उठी घर भर की आंखें बहुत दिनों के बाद। कौए ने खुजलाई पांखें बहुत दिनों के बाद।”

लेकिन तीन हफ्ते की हड़ताल खत्म होने के बाद भी सर्राफा बाजार में सोमवार को खरीदारी की रफ्तार बड़ी सुस्त रही। वैसे, सर्राफा व्यापारियों को उम्मीद है कि अक्षय तृतीया तक सोने की खरीदारी में फिर से चमक आ जाएगी। इस बार अक्षय तृतीया 24 अप्रैल को पड़ रही है जिसमें अब दो हफ्ते ही बाकी हैं। अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना भारतीय परंपरा के मुताबिक काफी शुभ माना जाता है।

व्यापारियों का मानना है कि हड़ताल के दौरान सोने के दाम 4 फीसदी तक नीचे आ चुके हैं। इसलिए भी ग्राहकों को सोना खरीदने का उकसावा मिल सकता है। हालांकि अभी हालत सुस्त है। मुंबई में सोना आयात करनेवाले एक निजी बैंक के डीलर का कहना था, “निचले स्तर पर कुछ ही ऑर्डर आए हैं। लेकिन बाजार धीरे-धीरे खुद को अक्षय तृतीया के लिए तैयार कर रहा है।” उनका कहना था कि सोने में 27,200 से लेकर 27,500 रुपए प्रति दस ग्राम का भाव बाजार को गति देने के लिए पर्याप्त है।

वैसे, तमाम बड़े व्यापारियों में उत्साह है। जेजे गोल्ड हाउस के मालिक हर्षद अजमेरा का कहना था, “शादी का सीजन चालू है। लोगबाग अब हफ्तों तक दुकानें बंद रहने के बाद तेजी से खरीद करेंगे। इसका संकेत कल हुई अच्छी खरीदारी में दिख गया था।”

इस बीच सोमवार को एमसीएक्स में जून डिलीवरी को गोल्ड फ्यूचर्स का दाम 0.48 फीसदी बढ़कर 28,333 रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया। वहीं मई डिलीवरी के चांदी वायदा का दाम 56,254 रुपए प्रति किलोग्राम दर्ज किया गया।

बता दें कि देश भर के सर्राफा व्यापारी बजट में सोने पर कस्टम ड्यूटी दोगुने किए जाने के साथ-साथ सोने के आभूषणों पर एक फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगाने का विरोध कर रहे हैं। साथ ही उन्हें इस पर भी आपत्ति है कि बजट में दो लाख रुपए के ज्यादा की खरीद पर टीडीएस काटना जरूरी कर दिया गया है। अनुमान है कि इसके खिलाफ 21 दिनों तक चली हड़ताल के चलते सर्राफा कारोबारियों को करीब 20,000 करोड़ रुपए के धंधे से हाथ धोना पड़ा है। इसके बावजूद उनका विरोध अभी ठंडा नहीं हुआ है। सरकार अगर बीते शुक्रवार को किए गए वादे पर अमल नहीं करती तो वे 11 मई से फिर से हड़ताल पर जा सकते हैं।

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