दुनिया के फिर से आर्थिक मंदी की चपेट में फंसने की आशंका के बीच सोना बराबर चांदी काट रहा है। सोमवार को लंदन के सराफा बाजार में इसके भाव 1894.80 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचे, जो 1900 डॉलर प्रति औंस के मनोवैज्ञानिक स्तर के एकदम करीब है। बीते हफ्ते शुक्रवार को यह 1878.15 डॉलर प्रति औंस (31.1 ग्राम) पर बंद हुआ था।
अंतरराष्ट्रीय कीमतों के असर से दिल्ली सराफा बाजार में सोना 360 रुपए उछलकर 28,580 रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया। चांदी का कारोबार कृष्ण जन्माष्टमी के कारण बंद रहा। जानकारों का कहना है कि अमेरिका की बेहद नरम मौद्रिक नीति से सोने को बल मिल रहा है।
माना जा रहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को एक और राहत पैकेज की जरूरत है। दूसरी ओर यूरोप के ऋण संकट से निकलने के लिए यूरोपीय सरकार के उपायों को स्थानीय निवासी स्वीकार करने के लिए तैयार है। इससे यूरोप का ऋण संकट गहराने के आसार है और निवेशकों को भरोसा वित्तीय तंत्र में घट रहा है। सोने में निवेश बढ़ रहा है।
लेकिन विशेषज्ञों का एक तबका मानता है कि सोने की आसमान छूती कीमतें जल्दी ही जमीन पर आएंगी। हां, अगले साल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोने के दाम 2400 डॉलर प्रति औंस तक जा सकते हैं। केरल में कोवलम में सोने पर आयोजित एक सम्मेलन में विशेषज्ञों ने कहा कि कि देश में सोने कीमतें विदेशी बाजारों के बल पर बढ़ रही है। घरेलू बाजार में सोने की मांग सामान्य है और आभूषणों की खपत सीमित है। इसलिए खरीदारों को सतर्क रहना चाहिए। फिलहाल हम उथल-पुथल भरे बाजार में हैं। इसमें संभल कर रहना होगा।
विश्लेषकों का कहना है कि अगले महीने सोने के कीमतें 1725 डॉलर प्रति औंस तक आ सकती हैं और उसके बाद इसमें फिर इजाफा होगा। उनका कहना है, “लोग सोना खरीद रहे हैं लेकिन वे नहीं जानते कि इसकी खरीदारी क्यों की जा रही है। यह मुख्य कारण है जिससे सोने का बुलबुला जल्द फूटेगा।”