बाजार की चाल निराली है। वित्त मंत्री के बजट भाषण शुरू करने के आधे घंटे में इसकी दशा-दिशा दिखाने वाला सूचकांक निफ्टी 5445.65 की ऊंचाई तक जा पहुंचा। फिर गिरने-उठने लगा और आखिर में कल से 1.16 फीसदी की गिरावट के साथ 5317.90 पर बंद हुआ। मुझे भी लगता है कि बजट में ऐसा कुछ नहीं, जिसे खास माना जाए। निजी आयकर में छूट की सीमा को 20,000 रुपए बढ़ा देने से लोगों की खर्च करने की क्षमता पर कोई फर्क नहीं पड़नेवाला। इतना तो दस फीसदी महंगाई ही खा गई है।
शेयरों में निवेश को तीन साल तक लॉक-इन रखने पर करयोग्य आय में 50,000 रुपए तक की छूट उन मासूम लोगों का खून पी लेगी जो अभी तक बाजार से दूर रहे हैं। डिलीवरी वाले सौदों में सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) में 20 फीसदी कमी इतनी मामूली है कि बेमतलब है। सिविल एविएशन में विदेशी एयरलाइंस को लाने पर चुप्पी और डीटीसी (प्रत्यक्ष कर संहिता) को अपनाने में देरी हमारे लिए कुछ और बुरी खबरें हैं। जीएसटी (माल व सेवा कर) को 1 अगस्त 2012 से लागू करने की बात कही गई है। लेकिन मुकर्रर तारीख के नजदीक आने पर इसे बड़े आराम से 1 अप्रैल 2013 तक खिसकाया जा सकता है।
नए वित्त वर्ष 2012-13 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 5.1 फीसदी रखा गया है। लेकिन क्या वाकई ऐसा हो पाएगा? यह सरासर एक भ्रम और छलावा है। पिछले साल इसे 4.6 फीसदी रखा गया था और यह हकीकत में 5.9 फीसदी पर पहुंच गया। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि सरकार धन के इंतजाम के लिए 4.79 लाख करोड़ रुपए बाजार से उधार लेने जा रही है। यह बजट का बहुत ही बड़ा नकारात्मक पहलू है।
मुझे लगता है कि हमें अब निफ्टी के 5200 तक पहुंचने की तैयारी कर लेना चाहिए और बाजार को उसके हाल पर छोड़कर खुद ही सामान्य होने देना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि बजट का कोई प्रभाव नहीं है। एकदम बेअसर है इस बार का बजट।
अब समय बीतने के साथ समाजवादी पार्टी केंद्र सरकार में शामिल हो जाएगी और प्रमुख आर्थिक सुधारों को अधिसूचनाओं के जरिए लाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। तब तक हमारे पास देखने और इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं है। इस दरमियान तमाम स्टॉक्स उनमें ली गई पोजिशंस के हिसाब से उठेंगे-गिरेंगे। जैसे, आज टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मारुति उद्योग और आईटीसी को एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दिए जाने के चलते घटना चाहिए था। लेकिन ये सभी बढ़ गए। जाहिरा तौर पर इनकी बढ़त की खास वजह इनमें बनी शॉर्ट पोजिशन है। बॉम्बे डाईंग ने भी ऐसी ही हरकत दिखाई है।
भौतिक सत्ता को अगर प्यार व विवेक जैसी आध्यात्मिक सत्ता से संतुलित न किया जाए तो वह सुख-शांति लानेवाले वरदान के बजाय कलह व अशांति लानेवाला अभिशाप बन जाती है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलतः सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)