भारतीय बैंक इस समय 20 सालों की सबसे विकट डिपॉजिट समस्या से जूझ रहे हैं। इस समय क्रेडिट-डिपॉजिट या सीडी अनुपात 80% हो चुका है जो साल 2005 के बाद से अब तक का उच्चतम स्तर है। सीडी अनुपात दिखाता है कि बैंकों का कितना डिपॉजिट ऋण देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारे बैंक बीते वित्त वर्ष 2023-24 में डिपॉजिट खींचने के लिए जूझते रहे। हालत यह है कि लोगबाग होम लोन से लेकर आम खपत के लिए तो जमकर लोन ले रहे हैं, लेकिन बैंकों में कम धन बचा पा रहे हैं। बैंक जितना डिपॉजिट पा रहे हैं, उसका 80% हिस्सा लोन के रूप में दे दे रहे हैं। यह स्थिति सितंबर 2023 के बाद से ही लगातार बनी हुई है। सरकार के अर्थशास्त्री कहते हैं कि बैंकों की जमा इसलिए घट रही है क्योंकि लोगबाग अधिक रिटर्न पाने के लिए शेयर बाज़ार या म्यूचुअल फंड में ज्यादा निवेश कर रहे हैं। लेकिन निष्पक्ष अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर ऐसा ही है तो हमारी हाउसहोल्ड बचत दर ज्यादा होनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हमारी हाउसहोल्ड बचत 2022-23 में जीडीपी की 5.1% रह गई थी, जो 50 सालों का न्यूनतम स्तर है। उसके बाद 2023-24 में भी स्थिति में खास सुधार नहीं आया। अब बुधवार की बुद्धि…
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