फरवरी में बड़ा कुछ नहीं हुआ तो ऑपरेटरों ने इसका फायदा उठाकर निफ्टी को पिछले सेटलमेंट से खींचकर 5650 तक पहुंचा दिया। अब बहुप्रतीक्षित करेक्शन आना शुरू हुआ है तो यह सारे उम्मीदों को तोड़ता हुआ 5500, 5400, 5300 से 5200 की तरफ लिए जा रहा है। आखिरी दो दिनों में तेजड़ियों ने हाथ खड़े कर दिए। लांग सौदों का मामूली रोलओवर हुआ। जो थोड़े-बहुत रोल्स हुए, वे कैश व डेरिवेटिव सेगमेंट में ऑर्बिट्रेज का नतीजा हैं या एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) ने अपनी पोजिशन काटी है। इसलिए करेक्शन का आना लाजिमी था।
साल 2012 का यह पहला हफ्ता है जब बाजार गिरकर बंद हुआ है तो ट्रेडर स्वाभाविक रूप से फिर शॉर्ट करने की तरफ बढ़ गए हैं। यह ज्यादा पब्लिक हिस्सेदारी वाले आवेशी स्टॉक्स में अचानक आई 20 से 25 फीसदी गिरावट से जाहिर होता है। अरविंद मिल्स, डिश टीवी, आईवीआसीएल, रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस कैपिटल बहुत तेजी से 20 फीसदी घट गए हैं।
आपके लिए महत्वपूर्ण है यह समझना कि मार्च में बाजार कैसे काम करेगा। इस दौरान उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजे, बजट, रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा व यूरोप के हालात बड़े कारक हैं। इन सभी कारकों का आकलन अभी से कर लेना जरूरी है क्योंकि बाजार की रीति व नीति यही है। उम्मीद नहीं है कि रिजर्व बैंक 15 मार्च को ब्याज दरों में कटौती करेगा क्योंकि कच्चे तेल के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय मूल्य ने मुद्रास्फीति के बढ़ने का डर बढ़ा दिया है। हां, वह सिस्टम में तरलता बढ़ाने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआई) को घटाकर 5.5 से घटाकर 5 फीसदी जरूर कर सकता है।
जहां तक उत्तर प्रदेश के चुनावों की बात है तो बाजार यह मानकर चल रहा है कि वहां समाजवादी पार्टी व कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। इससे केंद्र की सत्ता भी मजबूत होगी। जनमत संग्रह भी इसी नतीजे की तरफ इशारा कर रहे हैं। लेकिन दिल्ली के कुछ राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि मायावती फिर से सत्ता में आएंगी। असल में, एक बड़ा सटोरिया जयप्रकाश एसोसिएट्स में भारी पोजिशन पकड़ता जा रहा है, इस उम्मीद के साथ कि मायावती की सरकार बनने पर यह स्टॉक 100 फीसदी तक बढ़ सकता है। इंफ्रास्ट्रक्चर और सीमेंट का धंधा इस स्टॉक के बढ़ने का खास कारण बनेगा।
लेकिन मायावती की सरकार बनने पर कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार को बड़ा धक्का लगेगा और बाजार निश्चित रूप से गिरेगा। सरकार आर्थिक सुधारों को ताक पर रखकर अगले लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुट जाएगी। नतीतज़न सेंसेक्स 1000 से 2000 अंक गिर सकता है। उसी के बाद तेजी का नया दौर शुरू हो सकता है जो तीन साल तक चलेगा।
अगला खास कारक है 16 मार्च को आ रहा आम बजट। उम्मीदों का उफान जारी है। खबर आई है कि आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर तीन लाख रुपए की जा सकती है। दूसरी रियायतों को मिलाकर पांच लाख रुपए तक सालाना आय पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा। ऐसा हो जाए तो बड़ा अच्छा है। इससे कालेधन का एक हिस्सा भी बाहर निकलकर उत्पादक कामों में लग सकेगा। बहुत से करदाता आय को अधिकतम कर-मुक्त सीमा तक ही दिखाते हैं। बढ़ी सीमा से बहुत से लोग नए करदाता बन सकते हैं।
आयकर के निचले स्लैब के रूप से 10 फीसदी टैक्स का नुकसान परोक्ष या अप्रत्यक्ष कर संग्रह में 80 फीसदी वृद्धि का रास्ता खोल सकता है। यह जानामाना सच है कि हर एक रुपए की कमाई पर हम किसी न किसी रूप में 88 पैसे टैक्स चुका देते हैं। लेकिन हमारी व्यवस्था की मेरुदंड बने नौकरशाह ऐसा होने नहीं देंगे क्योंकि वे प्रत्यक्ष करों में मामूली कमी भी गवारा नहीं कर सकते। इसी सोच के तहत एसटीटी (सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स) लगाया गया, जबकि सरकार को उससे कुछ टैक्स नहीं मिलता।
अब आखिरी मुद्दा मचा यूरोप के संकट का। तो, यह पहले ही रूटीन व फालतू कारक बन चुका है क्योंकि इसके रहते हुए भी दुनिया के बाजार बढ़ चुके हैं। दिसंबर 2011 से लेकर मार्च 2012 में हालात ज्यादा बदले नहीं हैं और इसका कोई न कोई समाधान निकल ही आएगा क्योंकि आईएमएफ से लेकर यूरोपीय संघ और कोई भी दूसरी ताकत दुनिया में आर्थिक सुधार को दांव पर नहीं लगा सकती। अमेरिका में दिसंबर में राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं। वहां जल्दी ही नया प्रोत्साहन पैकेज घोषित होने की उम्मीद है।
इस बीच हमारे यहां एफआईआई व एचएनआई समेत तमाम निवेशक परेशान हैं कि वे समय रहते खरीदारी नहीं कर सके और बाजार 20 फीसदी बढ़ गया। वे अब एमसीएक्स के आईपीओ में ऐसे घुसे हैं जैसे दूसरा कुछ बेहतर हो ही नहीं सकता। हम अब भी नहीं समझ पा रहे हैं कि रिटेल निवेशक एमसीएक्स के छह शेयर पाकर आखिर करेंगे क्या? 36,000 करोड़ रुपए कोई कम नहीं होते। इतनी तरलता बाजार से निकलकर एमसीएक्स के आईपीओ में जा चुकी है। इसका असर शेयर बाजार पर पड़ेगा। उम्मीद है कि एमसीएक्स की लिस्टिंग 1300 रुपए पर होगी। मुझे लगता है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स और एसबीआई मौजूदा भाव पर इससे कहीं बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
खैर, इन सारे पहलुओं पर आपको भी सोचना चाहिए। जहां तक मेरी बात है तो मुझे लगता है कि बजट तक निफ्टी 5840 तक पहुंच सकता है। यह मैं पहले भी कह चुका हूं। लेकिन ट्रेडरों को मेरी सलाह है कि वे इस दौरान लांग और शॉर्ट सौदों का अनुपात 70:30 का रखें। 30 फीसदी शॉर्ट सौदे 70 फीसदी लांग से हुए नुकसान को बराबर कर सकते हैं क्योंकि गिरावट की मात्रा बढ़ने की तुलना में ज्यादा रहेगी। फिलहाल डीलिस्टिंग के लिए तैयार कुछ स्टॉक्स में बढ़त दर्ज की जा सकती है। इनमें कुछ खास नाम हैं – गुडईयर, फेयरफील्ड एटलस, टिमकेन और शार्प इंडिया। इन्हें मार्च 2013 तक पब्लिक की हिस्सेदारी बढ़ाकर 25 फीसदी करनी है, नहीं तो इन्हें खुद को डीलिस्ट कराना होगा। मेरा मानना है कि कोई भी बहुराष्ट्रीय कंपनी पब्लिक की हिस्सेदारी बढ़ाने के बजाय खुद को डीलिस्ट कराना पसंद करेगी।