साल के साथ साल का संयोग देखने में बना मजा आता है। ठीक साल भर पहले 3 जून 2010 को बैद ग्लोबल वेंचर्स का शेयर 45.70 रुपए पर 52 हफ्ते की तलहटी पकड़े हुए था। अब 186.85 रुपए पर है। इस साल भर के दौरान कंपनी में बहुत कुछ बदल चुका है। पहले इसका मालिक कोई और था, अब कोई और है। पहले इसका नाम लिविंग रूम लाइफस्टाइल लिमिटेड था, फिर चिसेल एंड हैमर (मोबेल) लिमिटेड हुआ और अब वो भी नहीं रहा। पहले यह घाटे में थी, अब फायदे में है।
जी हां, कंपनी 2009-10 तक बड़ी मरी-गिरी हालत में चल रही थी। 2005-06 में पूरे साल भर में 23 लाख का मुनाफा कमाया था। 2008-09 तक उसका सालाना मुनाफा घटकर मात्र 5 लाख रुपए पर आ गया। 2009-10 में तो वह 68 लाख रुपए के घाटे में आ गई। लेकिन ताजा घोषित नतीजों के मुताबिक 2010-11 में उसने 236.79 करोड़ रुपए की बिक्री पर 3.47 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। कंपनी ने ये नतीजे 13 मई को घोषित किए थे। शेयर का भाव (बीएसई – 509011) तब 177 रुपए पर था। अब धीरे-धीरे बढ़ते-बढ़ते 186.85 रुपए पर पहुंच गया है।
कल नई बात यह हुई कि कंपनी ने फ्रांस की फेसियल व फूट स्पा चेन Fe’e को भारत लाने की शुरुआत कर दी। उसने गुरुवार, 2 जून को Fe’e के पहले आउटलेट की शुरुआत ठाणे के कोरम मॉल में कर दी। आप सोच रहे होंगे कि इस कंपनी का धंधा क्या है? असल में 1951 में बने बैद समूह की तीसरी पीढ़ी अब कारोबार को आगे बढ़ा रही है। इसकी शुरुआत टेक्सटाइल से हुई थी। उसका मूल व्यवसाय टेक्सटाइल, खासकर हौजरी ही है। लेकिन अब ज्वैलरी, रिटेल, स्पा व वेलनेस और फर्नीचर तक के धंधे में उतर गई है।
फर्नीचर स्टोर लिविंग रूम का नाम तो आपने शायद सुना ही होगा और उसके विज्ञापन भी हो सकता हो, देखे हों। इसे चलानेवाली कंपनी का नाम था लिविंग रूम लाइफस्टाइल लिमिटेड और इसे चलाते थे जहांगीर नागरी और उनकी पत्नी शकीरा नागरी। लिविंग रूम तब लिस्टेड कंपनी थी। बैद समूह ने उसका अधिग्रहण कर लिया। प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया और कंपनी का नाम बदलकर चिसेल एंड हैमर (मोबेल) लिमिटेड कर दिया। पुष्पेश कुमार बैद उसके चेयरमैन व प्रबंध निदेशक बन गए। कंपनी के निदेशक बोर्ड ने प्रवर्तकों व कुछ अन्य लोगों को 51 रुपए मूल्य के 18 लाख परिर्तनीय वारंट जारी करने का फैसला किया। अब तक ये सारे वारंट 18 लाख शेयरों (10 रुपए के शेयर पर 41 रुपए प्रीमियम) में बदले जा चुके हैं।
इस दरमियान सितंबर 2010 में कंपनी ने महानगरों व टियर-2 शहरों में लैपटॉप, मोबाइल व ऑडियो-वीडियो जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामानों के स्टोर खोलने का फैसला किया। उसने बड़े पैमाने पर स्पा व वेलनेस धंधा भी शुरू करने का निर्णय लिया। डिजाइंड गोल्ड ज्लैवरी में भी वह कदम बढ़ा रही है जिसका बड़ा हिस्सा निर्यात किया जाएगा। इस क्रम में उसने दुबई के सुपरफाइन ज्वैल्स एफजेडई का अधिग्रहण कर लिया है। यह सब चल ही रहा था कि कंपनी का नाम चिसेल एंड हैमर (मोबेल) लिमिटेड से फिर बदलकर बैद ग्लोबल वेंचर्स लिमिटेड कर दिया गया। हालांकि बीएसई अभी इसका पुराना नाम ही पकड़ता है। कंपनी केवल बीएसई में लिस्टेड है।
शेयरधारकों के मंच की बात करें तो बैद ग्लोबल वेंचर्स का ओपन ऑफर 25 मई से खुला है और 13 जून तक चलेगा। इसके तहत कंपनी की 20 फीसदी इक्विटी खरीदी जानी है। नए प्रवर्तक व मालिक शेयरधारकों को प्रति शेयर 202 रुपए दे रहे हैं, जबकि बाजार में शेयर का मौजूदा भाव 186.85 रुपए चल रहा है। पुराने शेयरधारक चाहें तो इस मौके का फायदा उठाकर नोट कमा सकते हैं। वैसे अतीत में यह शेयर ऊपर में 292.90 रुपए (26 नवंबर 2010) तक जा चुका है।
असल में इस कंपनी में लंबे समय से निवेशकों ने जो आस लगा रखी थी, उसका प्रतिफल उन्हें मिल रहा है। सितंबर 2010 से ही शेयरधारकों ने इसे गुब्बारे की तरफ फुला रखा था। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि सितंबर में यह शेयर 112.94 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था। नवंबर तक यह 175.06 के पी/ई पर चला गया। अभी पिछले मई माह तक में इसका पी/ई अनुपात 203.50 और उससे पहले अप्रैल 2011 में 192.50 रहा है।
अब ताजा नतीजों के बाद इस स्टॉक की ‘वायु’ कहीं जाकर सम हुई है। वित्त वर्ष 2010-11 में उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 28.71 रुपए रहा है। इस तरह उसका शेयर अभी मात्र 6.51 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। असल में इस कंपनी की कुल इक्विटी मात्र 1.21 करोड़ रुपए है जो 10 रुपए अंकित मूल्य के 12.1 लाख शेयरो में बंटी है। इसलिए 3.47 करोड़ के शुद्ध लाभ पर भी उसका ईपीएस 28.71 रुपए निकल आता है।
फिर, कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या मात्र 662 है। वारंटों के बदलने के बाद कंपनी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 34.60 फीसदी गई है, जबकि अन्य के पास 65.40 फीसदी शेयर हैं। इस अन्य में भी ज्यादातर प्रवर्तकों से ही जुड़े हुए लोग हैं। ऐसे में बैद ग्लोबल वेंचर्स के नतीजों व शेयरों में भले ही आंकड़ों की चमक-दमक दिखे, लेकिन हमारे-आप जैसे आम निवेशकों को उससे दूर ही रहना चाहिए। दरअसल, यह पूरी कंपनी किसी बंद क्लब जैसी दिखती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि बैद समूह जबरदस्त दमखम से अधिग्रहण के अभियान पर निकला है और हो सकता है कि कंपनी को बहुत ऊंचाई तक ले जाए। उसके मंसूबों का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने कंपनी का रजिस्टर्ड ऑफिस मुंबई के बांद्रा कुरला कॉम्प्लेक्स में बना रखा है। लेकिन जोखिम उसका है, वह उठाए। हम क्यों उसमें शिरकत करें?