निफ्टी आज 10 से 12 बजे के बीच दो बार 5600 के एकदम करीब चला गया। लेकिन 5592.90 के बाद उसे ऊपर खींच पाना मुश्किल हो गया। जैसा कि मुझे कल ही अंदेशा था और मैंने लिखा भी था कि निफ्टी में 5620 का स्तर आने से पहले मंदड़िये हमले पर उतर आए। उनकी बिकवाली के चलते बाजार दो बजे के आसपास गिरावट का शिकार हो गया, जबकि पहले वह बराबर बढ़त लेकर चल रहा था। ढाई बजे तक वे निफ्टी को 5514.55 तक पीट ले गए।
वैसे, तेजड़ियों और मंदड़ियों की शाश्वत लड़ाई में इधर एक नया मोड़ आ रहा है। मंदड़िये निफ्टी को 5000 तक ले जाना चाहते हैं, जबकि तेजड़िये 6000 पर। लेकिन दोनों के लिए ही निवेशकों के बाजार के कन्नी काटने के चलते अपनी मकसद हासिल कर पाना मुश्किल हो गया है। सीधी-सी बात है कि निवेशकों का ही टोंटा पड़ गया तो मंदड़ियों या तेजड़ियों की कमाई होगी कहां से? उनका तो धंधा ही ठप पड़ जाएगा न!!
सरकारी नीतियों में कोई स्पष्टता और दिशा 13 मई को पांच राज्य विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आ जाने के बाद ही आएगी। अगर सरकार गिरने जैसी कोई बहुत स्थिति बन गई तो निफ्टी के 5000 तक चले जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन अगर कुछ खास गंभीर नहीं हुआ तो इसे 6000 तक जाने से रोक पाना मुश्किल होगा। इस समय बाजार में शेयरों का बंटवारा जिस तरह हुआ पड़ा है, वह दरअसल इसी तरफ इशारा कर रहा है।
मैं ऑटोमेटेड ऑप्शन ट्रेडिंग पर नोमुरा जैसे एफआईआई का बयान पढ़ रहा था। इस तरह की ट्रेडिंग बाजार में वोल्यूम को बढ़ाने में पूरक की भूमिका निभाएगी। लेकिन यह ब्रोकरों व रिटेल निवेशकों के हितों के खिलाफ है। मैं पहले ही कह चुका हूं कि इससे तमाम ब्रोकरेज हाउसों का सफाया हो जाएगा। रिटेल निवेशकों की भागीदारी और कैश सेगमेंट में वोल्यूम के न होने से 70 फीसदी ब्रोकिंग हाउस खत्म हो सकते हैं। ब्रोकिंग हाउसों को अभी हल्का-सा सहारा एफआईआई के धंधे से मिल रहा है। ऑटोमेटेड ट्रेडिंग शुरू हो जाने से यह भी मिट जाएगा।
लेकिन साथ ही साथ यह उन कंपनियों के लिए बहुत सकारात्मक पहल है जिसके पास रिसर्च का मजबूत आधार और इंटरनेट पर ग्राहकों का व्यापक नेटवर्क है। ऑटोमेटेड ट्रेड के चलते इंटरनेट पर शेयरों का धंधा अपने चार सालों में काफी बढ़ जाएगा और यह फिर भौतिक संपत्तियों पर टिके उन ब्रोकिंग हाउसों को खत्म कर देगा जिनको बड़ी जगह और इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है। तब शाखाओं की संख्या का तथाकथित फायदा बैलेंस शीट की कमजोरी बन जाएगा क्योंकि इंटरनेट-आधारित धंधे के लिए किसी इंफ्रास्ट्रक्चर की नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी की जरूरत होगी।
बाजार अब भी 5500 से 5620 के दायरे में डोल रहा है। लेकिन यह बड़ी छलांग की पूर्व-पीठिका है। यह छलांग अचानक आएगी और सभी शॉर्ट सेलर्स के लिए फांस बन जाएगी। ऐसा जब भी होगा, दिन के कारोबार के आखिरी चरण में होगा ताकि अगले दिन उसकी खानापूर्ति की जा सके। बाजार शॉर्ट सेलर्स को कोई मौका नहीं देगा और 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) के पार होते ही पूरा नजरिया एकदम बदल जाएगा।
जहां तक एफआईआई की बिकवाली की बात है तो इसमें कुछ भी असामान्य या असहज नहीं है। जो लोग एफआईआई की हरकत के हिसाब से अपनी राय बनाते हैं, उन्हें आनेवाले महीनों में तगड़ा झटका लगेगा। मानसून के आने से बाजार के मानस में सुधार होगा और नई फसल की आवक की सुगबुगाहट में मुद्रास्फीति घटने लगेगी।
विचारों में साफगोई जरूरी है। लेकिन बातों में साफगोई कभी-कभी उन रिश्तों में ही दरार पैदा कर देती है जिनके दम पर विचारों को अमल में उतारा जाता है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का paid कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)