रंग बड़ा चोखा है असाही सांगवन का

कंपनियों के शेयरों के भाव इस पर भी निर्भर करते हैं कि उसे चाहनेवाले कितने हैं। दिक्कत यह है कि हमारे यहां चाहनेवालों में निवेशक कम, ऑपरेटर ज्यादा हैं। लेकिन लंबे समय में ऑपरेटरों का करतब नहीं, कंपनी की असली ताकत ही चलती है। नहीं तो जिस पेंटामीडिया ग्राफिक्स को केतन पारेख ने फरवरी 2000 में 2275 रुपए तक उठा दिया था, वह आज 1.33 रुपए पर नहीं डोल रहा होता। इसलिए, ट्रेडिंग में सब चलता है, लेकिन लंबे समय का निवेश हमेशा मजबूत कंपनियों में ही करना चाहिए और वो भी पूरा ठोंक बजाकर देख लेने के बाद।

1994 से धंधे में उतरी असाही सांगवन कलर्स ऐसी ही मजबूत कंपनी है। नाम से लगता है कि जैसे जापान से ताल्लुक रखनेवाली कोई कंपनी है। लेकिन खांटी देसी कंपनी है। गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की अध्यक्ष रह चुकी श्रीमती पारु एम जयकृष्ण इसकी प्रवर्तक और चेयरपर्सन व प्रबंध निदेशक हैं। 67 साल की बुजुर्ग महिला हैं। उनके दो बेटे मुंजल और गोकुल कंपनी में संयुक्त प्रबंध निदेशक हैं। कंपनी के आठ सदस्यीय बोर्ड में बाकी पांच सदस्य स्वतंत्र निदेशक हैं।

कंपनी थैलो सायानाइन पिगमेंट बनाती है। दुनिया में कार्बनिक पिगमेंट का तकरीन 60 फीसदी हिस्सा इन्हीं पिगमेंट का होता है। पिगमेंट एक औद्योगिक रसायन है जिसका इस्तेमाल चीजों को रंगीन बनाने के एजेंट के बतौर होता है। इसकी खपत प्रिटिंग इंक, प्लास्टिक, पेंट, टेक्सटाइल, रबर व कागज जैसे उद्योगों में होती है। कंपनी के दो संयंत्र गुजरात के कडी और वडोदरा में हैं। कडी में वह ग्रीन पिगमेंट बनाती है, जबकि वडोदरा में सीपीसी (कॉपर थैलोसायानाइन क्रूड) ब्लू व बीटा ब्लू पिगमेंट बनाती है। कंपनी की आय का 80 फीसदी हिस्सा निर्यात से आता। उसके प्रमुख विदेशी ग्राहकों में डीआईसी कॉरपोरेशन (जापान), सन केमिकल्स (अमेरिका) और क्लैरिएंट पिगमेंट (कोरिया) शामिल हैं। बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनी ने अपनी सालाना क्षमता को 14,000 टन से बढ़ाकर 19,000 टन करने की योजना बना रखी है।

कंपनी ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में 183.99 करोड़ रुपए की बिक्री पर 20.04 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया और उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 16.33 रुपए था। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की जून तिमाही में उसकी बिक्री 24.46 फीसदी बढ़कर 55.61 करोड़ और शुद्ध लाभ 47.37 फीसदी बढ़कर 6.16 करोड़ रुपए हो गया। इसी महीने 3 नवंबर को घोषित नतीजों के अनुसार सितंबर तिमाही में उसकी बिक्री 26.36 फीसदी बढ़कर 55.42 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 30.23 फीसदी बढ़कर 5.60 करोड़ रुपए हो गया।

कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस फिलहाल 19.01 रुपए है। उसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर शुक्रवार, 18 नवंबर 2011 को बीएसई (कोड – 532853) में 83.30 रुपए और एनएसई (कोड – ASAHISONG) में 83.60 रुपए पर बंद हुआ है। शेयर की बुक वैल्यू ही 79.42 रुपए है। आप शेयर के बाजार भाव को उसके टीटीएम ईपीएस से भाग देकर खुद देख सकते हैं कि यह शेयर फिलहाल मात्र 4.38 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यह इस साल 10 फरवरी 2011 को 61 रुपए पर चला गया था जो 52 हफ्ते का इसका न्यूनतम स्तर है। तब भी इसका पी/ई अनुपात 7.70 था। इसके बाद अभी चार महीने पहले 27 जुलाई 2011 को यह 52 हफ्ते के शिखर 129.70 रुपए पर जा पहुंचा। तब इसका पी/ई अनुपात 8.25 था। यह जनवरी 2010 में 25.66 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो चुका है। शेयर फिलहाल ढलान पर है। इसे इस वक्त पकड़ लेना चाहिए। हो सकता है कि अभी थोड़ा और गिरे। लेकिन हर गिरावट पर इसे बटोरने में कोई हर्ज नहीं है।

यह स्मॉल कैप कंपनी है। लेकिन इसके शेयरों में खरीद-फरोख्त आसानी से होती है। कंपनी ने इसी साल सितंबर से अपने शेयरों को एनएसई में भी लिस्ट करा दिया है। कंपनी की 12.27 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों का हिस्सा 61.48 फीसदी और पब्लिक का हिस्सा 38.52 फीसदी है। एफआईआई व डीआईआई ने इसमें धेले भर का भी निवेश नहीं कर रखा है। हां, पब्लिक की श्रेणी में क्लैरिएंट पिगमेंट (कोरिया) ने इसके 5.86 फीसदी, डीआईसी कॉरपोरेशन (जापान) ने 7.05 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं। साथ ही अनिवासी भारतीय रमन गोयल के पास भी कंपनी के 1.94 फीसदी शेयर हैं।

कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या मात्र 4562 है। इसमें से 4193 (91.9 फीसदी) एक लाख रुपए से कम निवेश वाले छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के कुल 13.28 फीसदी हैं। कंपनी बराबर शेयरधारकों को लाभांश देती रहती है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 के लिए इसने दस रुपए के शेयर पर कुल 3 रुपए (30 फीसदी) का लाभांश दिया था। इस साल के लिए 1.25 रुपए (12.5 फीसदी) का अंतरिम लाभांश यह दे चुकी है। कंपनी का मौजूदा लाभांश यील्ड 3.60 फीसदी है जिसे आकर्षक माना जाएगा।

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