दुनिया की प्रमुख इस्पात कंपनी आर्सेलर मित्तल ने भारत के लिए नई रणनीति तैयार की है। कंपनी अब भारत में बड़े-बड़े संयंत्र लगाने के बजाय छोटी इकाइयां लगाएगी। शुरुआत में कंपनी का इरादा झारखंड, उड़ीसा और कर्नाटक जैसे राज्यों में छोटी इकाइयां लगाने का है। हालांकि कंपनी ने इसके साथ ही स्पष्ट किया है कि वह संबंधित राज्य सरकारों के साथ हुए करार के तहत इन इस्पात संयंत्रों की क्षमता बाद में बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता पूरी करेगी।
आर्सेलर मित्तल के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) आदित्य मित्तल ने कंपनी के तीसरी तिमाही के वित्तीय नतीजों की घोषणा के बाद एक कान्फ्रेंस कॉल के दौरान कहा, ‘‘हमारा विचार यह है कि बड़े संयंत्र लगाने के बजाय छोटी इकाइयां स्थापित की जाएं, जिसे हमें अपने पैर पैसारने में मदद मिले और इनमें से कुछ परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया जा सके।’’ उन्होंने कहा कि अभी तक न तो हमने संयंत्र के आकार के बारे में तय किया है और न ही इसकी कोई घोषणा की है। पहले चरण के आकार के बारे में अभी तय किया जाना है।
दुनिया की इस सबसे बड़ी इस्पात कंपनी ने इससे पहले भारत में एक लाख करोड़ रुपये के निवेश से झारखंड और उड़ीसा में 1. 2 करोड़ टन सालाना उत्पादन क्षमता के अलग-अलग इस्पात संयंत्र लगाने का प्रस्ताव किया था। इसके साथ ही कंपनी 30,000 करोड़ रुपए के निवेश से कर्नाटक में 60 लाख टन सालाना क्षमता का इस्पात संयंत्र भी लगाना चाहती थी। मित्तल ने कहा कि हम अगले साल निर्माण शुरू करेंगे। हालांकि, अभी कंपनी ने यह तय नहीं किया है कि भारत में उसका कौन सा संयंत्र पहले शुरू होगा। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी कंपनी भारत में स्टील अथॉरिटी (सेल) के साथ संयुक्त उद्यम बनाने की कोशिश में लगी है।