देश की आवाज़ बन चुके गांधीवादी कार्यकर्ता अण्णा हज़ारे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को ललकारा है कि अगर उन्हें लगता कि सरकार द्वारा तैयार लोकपाल विधेयक इतना अच्छा है तो खुली बहस में सबसे सामने इसे साबित करके दिखाएं। वैसे, सरकार लोकपाल विधेयक संसद में पेश कर रही है, जिस पर पूरी बहस की तैयारी है। बहस के लिए संसद का शीतसत्र 27 से 29 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है।
गुरुवार को महाराष्ट्र के अपने गांव रालेगण सिद्धि में संवाददाताओं से बात करते हुए हज़ारे ने कहा, ‘‘सोनिया गांधी कहती हैं कि विधेयक मजबूत है। यदि ऐसा है तो बाहर आइए और मीडिया के सामने हमसे बहस कीजिए। इसे लोगों को देखने दो। देश के लोगों को समझाइए कि यह मजबूत है। हम स्पष्ट करेंगे कि यह किस तरह मजबूत नहीं है।”
हज़ारे ने कहा कि विधेयक में क्या सही है और क्या गलत, हमें लोगों के सामने चर्चा करनी चाहिए। अगर भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल के पास केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का नियंत्रण नहीं है और निचली नौकरशाही को इसके सीधे नियंत्रण में नहीं लाया जाता है तो नया विधेयक किसी काम का नहीं है। उनकी यह टिप्पणी कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में बुधवार को सोनिया द्वारा दिए गए उस भाषण के मद्देनजर आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रस्तावित विधेयक मजबूत है और वह इसके लिए लड़ाई को तैयार हैं।
सरकार पर हमला जारी रखते हुए हज़ारे ने कहा कि वे 27 से 29 दिसम्बर तक तीन दिनों की भूख हड़ताल करेंगे और उसके बाद देश भर में जेल भरो आंदोलन चलेगा। उन्होंने कहा, “मैं जेल भरो आंदोलन के हिस्से के रूप में उस समूह का हिस्सा रहूंगा जो सोनिया गांधी और राहुल गांधी के आवासों का घेराव करेगा।” उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि उसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की इच्छाशक्ति नहीं है। उसका लोकपाल विधेयक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में गरीबों की मदद नहीं करेगा।
हज़ारे ने कहा, “यह विधेयक बेकार है। जब तक आप सीबीआई को इसके दायरे में नहीं लाते तब तक लोकपाल विधेयक का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा पीड़ित गरीब हैं, जिन्हें कोई भी काम कराने के एवज में रिश्वत देनी पड़ती है। इस तरह आम आदमी कैसे रहेगा? हमारी मांग निचली नौकरशाही को लोकपाल के दायरे में लाने की है।”