देश के तकरीबन सारे परिवार वित्तीय रूप से बीमार हैं। यह कहना है कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के निदेशक बोर्ड की इकलौती महिला सदस्य और ब्रोकर फर्म असित सी मेहता की प्रबंध निदेशक दीना मेहता का। उनके मुताबिक, “आज के दौर में महिलाओं और बच्चों को वित्तीय क्षेत्र से दूर रखना कोई भी परिवार गवारा नहीं कर सकता। अपनी बचत फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में रखने से कुछ नहीं होनेवाला क्योंकि मुद्रास्फीति आपके पैसे को खा जाती है। बाजार को समझना जरूरी है और यह कठिन नहीं है। अगर आप थोड़ा अतिरिक्त मेहनत करके सीख लें तो आप न केवल पैसा बना लेंगे, बल्कि परिवार की बेहतरी में योगदान भी दे सकेंगे।
बीते हफ्ते महिला दिवस पर आयोजित एक संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि महिलाओं को निवेश के बारे में ज्यादा से ज्यादा सीखना चाहिए। वैसे भी पुरुष नियोजित तरीके के चलने में बड़े कच्चे होते हैं, फिसड्डी होते हैं। दीना मेहता का कहना था कि महिलाएं निश्चित रूप से बेहतर निवेशक बन सकती है क्योंकि निवेश मूलतः कॉमनसेंस व धैर्य का खेल है और ये दोनों ही गुण महिलाओं में स्वाभाविक रूप से भरे होते हैं।
उनका कहना था कि आज देश के तकरीबन सभी परिवार वित्तीय रूप से बीमार इसलिए हैं क्योंकि वे अपने धन के नियोजन पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते। लापरवाही बरतते हैं। या तो गैर-जरूरी कैश रखते हैं या सुनी-सुनाई बातों पर निवेश कर देते हैं। परिवार को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए महिलाओं को निवेश और बाजार के बारे में खुद को शिक्षित करना पड़ेगा क्योंकि अगर आप बाजार से दूर हैं तो समझिए कि बहुत कुछ से दूर हैं और इस वजह से बहुत सारा धन गंवा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि तमाम अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों ने यह बात साबित की है कि महिलाएं निवेश के मामले में ज्यादा बुद्धिमान व समझदार होती हैं और चाहे घर हो या दफ्तर, वे धन को बेहतर तरीके से संभालती हैं। इस संदर्भ में उन्होंने नैनालाल किदवई, चंदा कोचर, रंजना कपूर व कल्पना मोरपरिया का उदाहरण दिया। फिर भी अर्थ और वित्त के क्षेत्र को पुरुषों का हलका माना जाता है। अतीत की बात करें तो शेयर बाजार में पुरुषों का ही बोलबाला रहा है और महिलाओं को उसमें शिरकत करने की छूट नहीं थी। लेकिन अब स्थितियां बदली हैं। फिर भी बाजार में महिलाओं की संख्या गिनीचुनी है।
उन्होंने कहा कि यह सोच गलत है कि फाइनेंस केवल पुरुषों के वश की बात है। हकीकत यह है कि ज्यादातर पुरुषों को फाइनेंशियल मैनेजमेंट की रत्ती भर भी समझ नहीं होती और वे बुरे योजनाकार होते हैं। यह बात पतियों पर ही नहीं, फंड मैनेजरों पर भी लागू होती है। इसलिए महिलाओं को फाइनेंस के मामले में घर के मुखिया से सवाल पूछने चाहिए क्योंकि बहुत मुमकिन है कि वह धन की संभाल व नियोजन का सही तरीके से न कर रहा हो या उसको पता ही न हो कि क्या किया जाना चाहिए।