हॉलैंड की वित्तीय सेवा कंपनी एगॉन बहुत समय से पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी से गुजारिश कर रही थी कि भारत में उसके एगॉन म्यूचुअल फंड का लाइसेंस रद्द कर उसे मुक्ति दे दी जाए। सेबी ने गुरुवार को उसकी यह गुजारिश पूरी कर दी। सेबी ने उनका पंजीकरण रद्द कर दिया है और कहा है कि एगॉन भारत में म्यूचुअल फंड का धंधा अब नहीं कर सकती।
हालांकि यह महज एक कागजी खानापूर्ति या औपचारिकता ही है क्योंकि 2008 में सेबी की मंजूरी मिलने के बाद एगॉन म्यूचुअल फंड अभी तक कोई कामकाज ही नहीं शुरू कर सका है। उसके पास प्रबंधन करने को कोई आस्ति नहीं है। असल में एगॉन ने भारत में रैनबैक्सी के पुराने मालिकों की नई कंपनी रेलिगेयर एंटरप्राइसेज के साथ मिलकर जीवन बीमा और म्यूचुअल फंड कारोबार में प्रवेश किया था। बीमा कारोबार तो चल रहा है। लेकिन म्यूचुअल फंड से गठन के एक महीने बाद ही रेलिगेयर ने हाथ खींच लिए थे।
सेबी ने गुरुवार को जारी बयान में कहा है, “एगॉन म्यूचुअल फंड के अनुरोध पर सेबी ने उसका रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट रद्द कर दिया है। साथ ही एगॉन एसेट मैनेजमेंट कंपनी प्रा. लिमिटेड को एएमसी के रूप में दिया गया अनुमोदन वापस ले लिया है।” इस तरह अब एगॉन म्यूचुअल फंड का बोरिया-बिस्तर पूरी तरह बंध गया है।
गौरतलब है कि जून 2011 तक की स्थिति के मुताबिक देश में कुल 45 म्यूचुअल फंड मौजूद थे। लेकिन इनमें से एगॉन के अलावा गोल्डमैन सैक्श म्यूचुअल फंड और आईआईएफएल म्यूचुअल फंड का भी खाता नहीं खुला है। इस तरह सही मायनों में देश में कुल 42 म्यूचुअल फंड सक्रिय हैं जिनके पास जून 2011 के अंत तक संभालने को कुल 7.43 लाख करोड़ रुपए की निवेश राशि थी।