सरकार ने 14 कोल ब्लॉक और एक लिग्नाइट कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द करने का फैसला किया है। कोयला मंत्रालय का कहना है कि इन स्थानों पर खनन परियोजनाओं का या तो कार्यान्वयन नहीं हो रहा था या धीमा कार्यान्वयन हो रहा था। इसमें निजी कंपनियों के दो और सरकारी कंपनियों के 12 कोल ब्लॉक शामिल हैं। सरकारी कंपनियों में निरस्त किए गए सबसे ज्यादा पांच कोल ब्लॉक एनटीपीसी के हैं।
वैसे, तमाम खनन ब्लॉकों की प्रगति की समीक्षा करने के बाद कोयला मंत्रालय ने कुल 84 कोल ब्लॉक और चार लिग्नाइट ब्लॉक आवंटियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। मंत्रालय की तरफ जारी सूचना के अनुसार, विशेष सचिव (कोयला) की अध्यक्षता में समीक्षा समिति ने निजी कंपनियों को आवंटित दो कोल ब्लॉकों और सरकारी कंपनियों को आवंटित 12 कोल ब्लॉकों का आवंटन रद्द करने का का अनुमोदन कर दिया है।
इन सरकारी कंपनियों में तेनूघाट विद्युत निगम लिमिटेड / दामोदर वैली कॉरपोरेशन का गोंडुलपारा; एनटीपीसी के चट्टी बरियातू, केरंदारी, ब्राह्मनी, छिछिरो पस्तीमल व चट्टी बरियातू (एस); बिहार राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड का सरिया खोयातंड; झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड का बनहारीडीह; एपी जेन्को के अनेसाता पल्ली, पुनुकुला चिलका व पेंगाडप्पा और दामोदर वैली कॉरपोरेशन का सहारनपुर जमर-पानी ब्लॉक शामिल हैं।
निजी कंपनियों को आबंटित होने वाले दो ब्लॉकों में श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद लिमिटेड का भंडाक वेस्ट और भाटिया इंटरनेशनल लिमिटेड का वरोरा वेस्ट (एन) शामिल हैं। लिग्नाइट ब्लॉक में वी.एस. लिग्नाइट को किया गया लुनसारा ब्लॉक का आवंटन निरस्त कर दिया गया है।
समीक्षा समिति ने 15 निजी कंपनियों को आवंटन के मामले में बैंक गारंटी ने कटौती की भी सिफारिश की है क्योंकि इन्होंने आवंटन पत्र के हिसाब से उत्पादन शुरू नहीं किया है। उसने उत्पादन में देरी के लिए 29 कोल ब्लॉक आवंटियों और तीन लिग्नाइट ब्लॉक आवंटियों को चेतावनी जारी करने की संस्तुति की है। 20 ऐसे कोल ब्लॉकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि वे नो-गो क्षेत्र या वन्य जीव कॉरिडोर में पड़ते हैं। मंत्रालय ने समिति की सिफारिशों का अनुमोदन कर दिया है और उसी के अनुरूप कदम उठाए जा रहे हैं।