विश्व अर्थव्यवस्था में एशिया की स्थिति 16वीं व 17वीं सदी जैसी होने जा रही है। तब विश्व अर्थव्यवस्था में एशिया का योगदान 60 फीसदी के आसपास था। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अब भारत, चीन और जापान के बीच आर्थिक सहयोग में मजबूती की उम्मीद करते हुए अनुमान जताया है कि वर्ष 2050 तक दुनिया के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में एशिया का योगदान 50 फीसदी से अधिक हो जाएगा।
एडीबी ने कहा कि बेहतर परिदृश्य में 2050 तक वैश्विक जीडीपी में एशिया का योगदान 52 फीसदी तक भी हो सकता है, जबकि यूरोप का 18 फीसदी और उत्तरी अमेरिका का 16 फीसदी योगदान होगा। एडीबी की रिपोर्ट – एशिया 2050 पर हाल में ही योजना आयोग में चर्चा की गई। रिपोर्ट में भारत, चीन और जापान के बीच बेहतर आर्थिक सहयोग की वकालत की गई है। इसके अलावा वृद्धि दर में तेजी लाने के लिए खुली व्यापार प्रणाली और शांति व सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2010 और 2050 के बीच एशियाई विकास में भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलयेशिया, चीन, कोरिया, थाईलैंड और वियतनाम की अहम भूमिका होगी और एशिया की वृद्धि दर में इन देशों का 95 फीसदी योगदान होगा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि यूरोप में औद्योगिक क्रांति होने से पहले 16वीं और 17वीं सदी में विश्व अर्थव्यवस्था में एशिया का योगदान 60 फीसदी के आसपास था जो 1950 से 1970 के दौरान घटकर 15 फीसदी रह गया। उसके बाद जापान में औद्योगिक क्रांति शुरू होने के बाद एशिया एक बार फिर विश्व अर्थव्यवस्था में उभरने लगा। वर्ष 1980 में चीन और फिर भारत में औद्योगीकरण बढ़ा और विश्व अर्थव्यवस्था में इनका योगदान बढ़ने लगा। चीन, भारत के साथ-साथ इंडोनेशिया और वियतनाम से इसे और बढ़ावा मिला।