मंगलवार से द हिंदू अखबार में विकीलीक्स के सहयोग से किए जा रहा खुलासा आज, गुरुवार को संसद में हंगामे का सबब बन गया। हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2008 में यूपीए की पिछली सरकार को बचाने और विश्वास मत हासिल करने के लिए सांसदों 50 से 60 करोड़ रुपए दिए गए थे। इस मसले पर विपक्ष ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर लोकसभा में भारी हंगामा किया।
संसद में विपक्ष के चौतरफा हमले के बाद सरकार पूरी तरह बचाव की मुद्रा में आ गई। सरकार ने कहा कि वह विकीलीक्स खुलासों की न तो पुष्टि कर सकती है और न ही खंडन। सरकार के संकटमोचक माने जानेवाले वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राज्यसभा में कहा कि विकीलीक्स की जानकारी एक संप्रभु सरकार और उसके विदेश स्थित मिशन के बीच का संवाद है। मुखर्जी ने कहा कि उन्हें (मिशन को) राजनयिक सुरक्षा हासिल है और ‘‘सरकार के लिए इसकी पुष्टि या खंडन करना संभव नहीं है।’’
विकीलीक्स खुलासे में आरोप है कि 2008 में विश्वास मत हासिल करने के लिए सरकार ने सांसदों को कथित तौर पर रिश्वत दी थी। भारत-अमेरिका परमाणु करार के मुद्दे पर वाम दलों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार अल्पमत में आ गई थी। वित्त मंत्री ने कहा कि ये आरोप 14वीं लोकसभा से संबंध रखते हैं लेकिन आज की सरकार केवल 15वीं लोकसभा के लिए जिम्मेदार है। उनहोंने नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली से सवाल किया कि क्या अखबारी खबर को अदालत में सबूत बनाया जा सकता है।
इससे पहले दोनों सदनों में बैठक शुरू होते ही विपक्ष ने जोरदार ढंग से यह मुददा उठाते हुए सरकार से तुरंत इस्तीफा देने की मांग की। नारेबाजी और हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पडी।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, ‘‘पिछले तीन दिनों से विकीलीक्स द्वारा किए जा रहे चौंकाने वाले खुलासे दुनिया में भारतीय लोकतंत्र को शर्मसार करते हैं। यह खुलासा एक तथाकथित ईमानदार प्रधानमंत्री के मातहत हो रहे भ्रष्टाचार को सामने लाता है।’’ उन्होंने कहा कि यह सरकार शासन करने का नैतिक अधिकार खो चुकी है। प्रधानमंत्री को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे तीन सांसद उस समय संसद में नोटों का बंडल लेकर आए थे और कहा था कि पैसे लेकर विश्वासमत हासिल किया जा रहा है। उनकी बात सुनने की बजाय उन्हें ही दोषी करार दिया गया। कहा गया कि सदन में नोट लहराना अपराध है। धन देकर वोट हासिल करना अपराध नहीं है लेकिन नोट लहराना आपराध है।’’
इस बीच विकीलीक्स दस्तावेजों में नाम आने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सतीश शर्मा समेत दो लोगों ने आज इस घटनाक्रम में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार कर दिया। शर्मा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि नचिकेता कपूर नाम का उनका कोई सहायक नहीं है और आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हिंदू अखबार पढ़ा है। उसने कहा है कि मेरा एक सहायक है। मेरा कोई राजनीतिक सहायक नहीं है। मेरा कपूर नाम का कोई सहायक नहीं है, जैसा कि अखबार ने अपनी खबर में बताया है।’’
विकीलीक्स द्वारा जारी ताजा दस्तावेजों में अमेरिकी राजनयिक संवादों में दावा किया गया है कि शर्मा के एक सहायक ने कथित तौर पर अमेरिकी दूतावास के एक कर्मचारी को ‘कैश से भरी दो तिजोरी’ दिखाई थीं और कहा था कि परमाणु करार पर यूपीए सरकार के विश्वास मत से पहले कुछ सांसदों का समर्थन पाने के लिए रिश्वत के तौर पर देने के लिहाज से 50-60 करोड़ रुपए तैयार हैं।
नचिकेता कपूर ने भी इन आरोपों को खारिज कर दिया है, जिनका नाम शर्मा के सहायक के तौर पर दस्तावेजों में लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन घृणित आरोपों को पूरी तरह खारिज करता हूं।’’ जब कपूर से पूछा गया कि क्या वह अमेरिकी दूतावास के किसी अधिकारी से मिले थे तो उन्होंने कहा कि वह कभी अमेरिकी अफसर से नहीं मिले। उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, मैंने उनसे मुलाकात नहीं की।’’ अपने पास 50-60 करोड़ रुपए रखे होने के आरोपों पर कपूर ने कहा, ‘‘कोई कैश नहीं था इसलिए मेरी तरफ से उसे दिखाए जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता।’’