बार-बार पलटकर हमला करना मंदड़ियों और तेजड़ियों दोनों की फितरत है। तेजड़िये तीन से चार बार बाजार को ऊपर की तरफ खींचते हैं। लेकिन खरीद से ज्यादा सप्लाई होते ही कदम पीछे खींच लेते हैं। मंदड़ियों का हमला और पीछे हटना भी इसी तरह चलता है। अभी तक मंदड़िये कामयाब रहे हैं क्योंकि राजनीतिक अस्थिरता, मुद्रास्फीति, घोटाले, भ्रष्टाचार और अधिक मूल्यांकन ने उनके लिए माकूल हालात पैदा कर रखे थे।
हालांकि मंदड़ियों की कोशिश बदस्तूर जारी है। लेकिन बाजार में निफ्टी के 5400 पर पहुंच जाने से लगता है कि बेहतर मूल्यांकन (14 का पी/ई), केंद्र में स्थिरता, हर स्तर पर घोटालों व भ्रष्टाचार से निजात पाने के प्रयास और मुद्रास्फीति में पक्की कमी के आसार के चलते उनकी सारी बिकवाली सोख ली जा रही है। यहां तक कि तेजड़िये भी बॉटम फिशिंग या बाजार के निचले स्तरों पर खरीद में जुट गए हैं।
हम इसी तरह की स्थिति सेंसेक्स के 8000 और 15,000 के स्तर पहले भी देख चुके हैं। वहां से बाजार नए शिखर की ओर कूच कर गया था। मैं नहीं जानता कि मंदड़िये कब तक अपना सिर टकराने की कोशिश करते रहेंगे, लेकिन मुझे इतना जरूर लगता है कि वे अब और ज्यादा कामयाब नही होंगे। उनके बेचने की लागत हर दिन घटती जा रही है जिससे यह आशंका बढ़ जाती है कि बाजार के अचानक यू-टर्न लेने पर उन्हें भयंकर नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अगर वे कामयाब होना चाहते हैं तो उन्हें बिकवाली का ऐसा ही दबाव कमोबेश अगले बीस दिनों तक बनाए रखना पड़ेगा। बीस दिन के बाद केंद्रीय बजट आना है। हो सकता है कि अगर बजट बाजार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता तो उन्हें अपने मंसूबों को पूरा करने में मदद मिल जाए। लेकिन बाजार के लिए जितना भी बुरा होना था, वह हो चुका है। इससे और कुछ बदतर होने की गुंजाइश नहीं दिखती। ऐसे में जरा-सा सकारात्मक कदम भी एफआईआई की जबरदस्त खरीद का सबब बन सकता है। सवाल उठता है कि क्या मंदड़िये इतना बड़ा जोखिम उठाना गवारा कर सकते हैं?
यह सब बातें अपनी जगह हैं। निफ्टी पिछले तीन दिनों से 5400 के आसपास डोलता रहा है। हालांकि आज वह कल के बंद स्तर 5396 से बढ़कर 5432.35 पर खुला। लेकिन यही दिन का उसका उच्चतम स्तर रहा। नीचे में 5303.40 तक गिरने के बाद वह 1.56 फीसदी की गिरावट के साथ 5311.60 पर बंद हुआ है। लेकिन अगर इस उठापटक के बावजूद निफ्टी खुद को 5400 या इसके इसके नजदीक बनाए रखता है तो मंदड़ियों को अपनी पोजिशन पलटनी पड़ेगी।
मुझे कहीं न कहीं अंदर से लगता है कि हम जल्दी ही 5700 का स्तर हासिल कर लेंगे। 6000 के स्तर से भी इनकार नहीं किया जा सकता। अंततः यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस बात और किस खेमे के पक्ष में जाते हैं। जहां तक कैश स्टॉक्स की बात है तो मेरा मानना है कि ज्यादातर लोग इन्हें निकाल चुके हैं और जो ऊंचे भाव इन्हें खरीदकर फंस चुके हैं, वे अब थक-हार कर निकलने के मौके की ताक में लगे हैं।
आप जो भी करें, खुले दिमाग और स्पष्ट सोच के साथ करें। लेकिन किसी धारणा के साथ कभी भी इतना न बंध जाएं कि उसके अलावा आपको कोई और संभावना नजर ही न आए।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)