गुरुवार को शेयर बाजार खुलने के एकाध घंटे बाद ही अफवाह फैल गई कि सिविल एविएशन सेक्टर में भी सीबीआई किसी घोटाले का पर्दाफाश करनेवाली है। दिन भर यह सनसनी चलती रही। फिर कहा गया कि बाजार बंद होने के बाद ऐसा खुलासा हो सकता है। इस चक्कर में बढ़े बाजार में भी जेट एयरवेज, किंगफिशर और स्पाइसजेट के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। लेकिन देर शाम तक ऐसी कोई खबर नहीं आई है। हां, इस बीच जरूर पता चला है कि एक दिन पहले घरेलू एयरलाइंस ने डीजीसीए (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) के पास दूरी के आधार पर यात्री किराए का ऐसा फॉर्मूला भेजा है जिससे हवाई सफर बेहद महंगा हो सकता है।
समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के अनुसार अगर नागरिक उड्डयन क्षेत्र की नियामक संस्था यह फॉर्मूला मान लेती है तो दिल्ली से चंडीगढ़ या चेन्नई से कोयम्बटूर का हवाई किराया 10,500 रुपए और दिल्ली-बैंगलोर या दिल्ली-कोलकाता का किराया 40,000 रुपए हो सकता है। डीजीसीए ने घरेलू एयरलाइंस से किराए का प्रस्ताव तब मांगा था जब नॉन-पीक सीजन में भी उन्होंने किराए में भारी वृद्धि कर दी थी। एयलाइनों के कल बुधवार को अपनी पेशकश डीजीसीए को सौंपी है।
हालांकि नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने साफ कर दिया है कि एयरलाइंस को अंधाधुंध किराया नहीं लेने दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “डीजीसीए किसी भी अनाप-शनाप किराए की इजाजत नहीं देगा। अगर कोई कमी है तो हमें जरूरी सुधार करेंगे। लेकिन हम एयरलाइनों को बेतहाशा किराया नहीं लेने देंगे। हम उन्हें हालात का फायदा नहीं उठाने देंगे।”
एयरलाइंस ने हवाई किराए के लिए दूरियों चार स्लैब बनाए हैं। 750 किमी से कम, 750-1000 किमी, 1000-1400 किमी और 1400 किमी से ज्यादा। उन्होंने 750 किमी से कम के लिए 10,500 रुपए और 1400 किमी से ज्यादा के लिए 40,000 रुपए का प्रस्ताव रखा है। 750 से 1000 तक किमी के लिए 14,550 से 19,500 रुपए और 1000 से 1400 किमी तक के लिए 17,000 से 25,000 रुपए की पेशकश की गई है। मुंबई से दिल्ली की हवाई दूरी 1160 किमी है। नए फॉर्मूले के हिसाब से मुंबई-दिल्ली का हवाई किराया 18,000 रुपए के आसपास हो सकता है।
सूत्रों के मुताबिक डीजीसीए दूरियों के इन चार स्लैब पर गौर तो कर रहा है। लेकिन किसी भी सूरत में यात्रियों पर इतनी ज्यादा मार की इजाजत नहीं दी जाएगी। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भी कठोर संकेत दे दिए हैं कि अगर उन्होंने बहुत ज्यादा किराया रखने का सिलसिला चलाया तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इधर नॉन-पीक सीजन के दौरान भी तमाम घरेलू रूटों पर हवाई किराए 30-40 फीसदी ज्यादा रहे हैं।
डीजीसीए ने एयरलाइंस से यह भी कहा है कि वे अपने किराए अपनी वेबसाइट या अखबारों में भी नियमित रूप से पेश करें। पिछले साल जब कुछ एयरलाइनों ने लगभग एक साथ कम किराए की सुविधा वापस ले ली थी, तब उनके बीच कार्टेल बनाने का शक उठाया गया था। तब डीजीसीए ने उनके फैसले का पूरा ब्योरा मांगा था।