यूं तो किसी स्टॉक में अचानक वोल्यूम का बढ़ जाना ऐसा पैमाना नहीं है जिससे मान लिया जाए तो कंपनी बड़ी पुख्ता है और उसमें निवेश अच्छा रिटर्न दे सकता है। लेकिन इससे इतना जरूर पता चलता है कि उनमें कुछ खेल शुरू हो गया है और इस बढ़ी हुई सक्रियता की कोई न कोई वजह होगी। गोविंद रबर (बीएसई कोड 509148) में कल औसत का लगभग ढाई गुना कारोबार हुआ। उसके 4.14 लाख शेयरों के सौदे हुए, जबकि पिछले दो हफ्तों का औसत कारोबार 1.74 लाख शेयरों का रहा है। शेयर एक दिन में 6.52 फीसदी उछलकर 24.50 रुपए तक जा पहुंचा। लेकिन आज सुबह से इसमें थोड़ी गिरावट आई है।
शेयर के ट्रैक रिकॉर्ड पर नजर डालें तो चालू वित्त वर्ष के शुरू में यह 11-12 रुपए के आसपास था। धीरे-धीरे बढ़ता गया और अब सोचिए! पांच महीनों में दोगुना हो चुका है यानी 100 फीसदी की बढ़त। जानकार बताते हैं कि इसमें निवेश काफी जोखिम भरा है, लेकिन किसी में अगर इसे 12 महीने होल्ड करने की क्षमता है तो यह 60 रुपए तक जा सकता है। यहां ध्यान रखें, रिटर्न और रिवॉर्ड यानी प्रतिफल और जोखिम में सीधा समानुपाती रिश्ता होता है। इसलिए पेंग भरें तो जानकर कि आसमान तक जा तो सकते हैं, लेकिन धड़ाम से नीचे गिरने की भी गुंजाइश है।
गोविंद रबर उसी सियाराम पोद्दार ग्रुप की कंपनी है जिससे बालकृष्ण इंडस्ट्रीज जुड़ी हुई और जिसके शेयर इस बार जन्माष्टमी पर अच्छे-खासे बढ़े थे। हालांकि बालकृष्ण इंडस्ट्रीज का शेयर तब 710-711 रुपए पर था, अब गिरकर 709 रुपए पर आ गया है। गोविंद रबर ट्रैक्टर व ट्रैलर से लेकर तमाम दूसरे वाहनों और मोटरसाइकिलों तक के टायर व ट्यूब बनाती है। जीआरएल टायर उसका ब्रांड है। 1981 में बनी कंपनी है। 6000 से ज्यादा लोग इसमें काम करते हैं। कंपनी की क्षमता 60,000 टन सालाना है।
कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 290.41 करोड़ रुपए की आय पर 3.27 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया। यानी, उसका शुद्ध लाभ मार्जिन मात्र 1.13 फीसदी है। चालू वित्त वर्ष 2010-11 में जून की तिमाही में उसकी आय 72.31 करोड़ और शुद्ध लाभ 1.17 करोड़ रुपए रहा है। यानी, शुद्ध लाभ मार्जिन थोड़ा-सा सुधरकर 1.62 फीसदी हो गया है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीने (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 1.95 रुपए है और उसका शेयर 12.57 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि एमआरएफ और फाल्कन टायर्स के पी/ई अनुपात क्रमशः 10.23 और 5.18 ही हैं।
गोविंद रबर के शेयर की बुक वैल्यू इस समय 7.08 रुपए है। स्पष्ट है कि मौजूदा वित्तीय स्थिति को देखें तो यह स्टॉक बहुत उत्साह नहीं पैदा करता। लेकिन जानकार बताते हैं कि इसमें ऐसा बहुत कुछ नया होनेवाला है जिससे यह शेयर 100-125 फीसदी रिटर्न साल भर में दे सकता है। कंपनी की इक्विटी अभी 21.85 करोड़ रुपए है जो दस रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसमें प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 53.82 फीसदी है और एफआईआई के पास इसके कोई शेयर नहीं है, जबकि डीआईआई के पास 0.05 फीसदी शेयर हैं। अंत में फिर सावधान रहने की बात। यह स्टॉक एचआरएचआर यानी हाई रिस्क, हाई रिटर्न की श्रेणी में आता है।
नोट: आज सुबह करीब 8 बजे से ही होस्टिंग सर्वर डाउन होने के कारण यह कॉलम देर से प्रकाशित किया जा सका। असुविधा के लिए खेद है।
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