सरकारी गोदामों में सितंबर की शुरुआत में गेहूं चावल का 5.02 करोड़ टन का खाद्यान्न भंडार मौजूद था जो कि सरकारी बफर स्टॉक नियमों की तुलना में करीब दोगुना भंडार है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के ताजा आंकडों के अनुसार एक सितंबर 2010 को उसके गोदामों में 2.04 करोड टन चावल और 2.98 करोड टन गेहूं का भंडार मौजूद था।
निर्धारित बफर स्टॉक नियम के अनुसार हर साल एक अक्तूबर को उसके गोदाम में गेहूं और चावल सहित कुल 2. 62 करोड़ टन खाद्यान्न भंडार होना चाहिए। इसमें 50 लाख टन का विशेष रणनीतिक आरक्षित भंडार भी शामिल है। बता दें कि सरकार ने सामान्य बफर स्टॉक के अलावा 50 लाख टन का विशेष रणनीतिक भंडार भी बना रखा है जिसमें 30 लाख टन गेहूं और 20 लाख टन चावल का भंडार शामिल है।
सरकार के पास खाद्यान्न का इतना भंडार हो गया है कि वह इसके रखने की समस्या से जूझ रही है। बढ़ी हुई खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति और प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत खाद्यान्न आवश्यकता को देखते हुए सरकार गेहूं और गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति नहीं दे रही है।
हालत यह है कि सरकारी गोदामों का लाखों टन अनाज खुले में पड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि सरकार को इसे गरीबों में मुफ्त बांट देना चाहिए। लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस पर पलटकर कहा था कि ऐसा करना उचित नहीं होगा और सुप्रीम कोर्ट को सरकार के नीतिगत मामलों में दखल नहीं देना चाहिए।