भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को देश के सभी बैंकों के शीर्ष अधिकारियों को भेजे गए सर्कुलर में बताया है कि 1 दिसंबर 2010 से चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) के तहत क्लियर होनेवाले किसी भी चेक में तारीख के अलावा कहीं भी कोई कट्टमकुट्टा नहीं चलेगा। अभी तक लोग पानेवाले के नाम से लेकर राशि तक बदलते रहे हैं। बस, जहां भी काटते थे, वहां अपना दस्तखत कर देते थे। लेकिन अब तारीख के अलावा कहीं भी काटपीट करना स्वीकार नहीं किया जाएगा। ऐसी सूरत में खाताधारी को नया चेक लिखना पड़ेगा। असल में चेक संबंधी नए नियम तो 22 फरवरी 2010 को ही जारी कर दिए गए थे। लेकिन उस पर अमल की तारीख अब घोषित की गई है।
लेकिन रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि यह नियम उन्हीं चेक पर लागू होगा जो इमेज आधारित चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) के अंतर्गत क्लियरिंग के लिए पेश किए जाएंगे। यह नियम एमआईसीआर (मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकगनिशन) या नॉन-एमआईसीआर क्लियरिंग के तहत स्वीकृत किए गए चेक पर लागू नहीं होगा। अगर कोई खाताधारी बैंक के काउंटर से नकद रकम निकालता है तो उसके चेक पर भी यह नियम लागू नहीं होगा। साथ ही क्लियरिंग हाउस व्यवस्था से बाहर सीधे एकत्र किए जानेवाले चेक भी इस नियम के दायरे से बाहर हैं।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने सभी पक्षों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद चेक में फ्रॉड की गुंजाइश को रोकने के लिए कई तरह के उपाय किए हैं। इसमें सीटीएस के वॉटर मार्क, बैंक के अदृश्य लोगो और कागज व स्याही की क्वालिटी तक के बारे में अनेक मानक बनाए गए हैं। इससे जुड़े नियमों के बारे में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) और नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) भी अलग से बैंकों को अलग से विवरण भेजेगा।