अगर रिजर्व बैंक को डर है कि आगे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है तो यह निराधार नहीं है। बुधवार को सरकार की तरफ से जारी मार्च के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ने यह बात साबित कर दी। इन आंकड़ों के अनुसार मार्च 2012 में यह सूचकांक मार्च 2011 की तुलना में 9.47 अधिक है। दूसरे शब्दों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति की दर मार्च में 9.47 फीसदी है। इसके पिछले महीने फरवरी में यह 8.83 फीसदी थी।
बता दें कि अभी तक रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति के लिए थोक मूल्य सूचकांक का संदर्भ लेता है। लेकिन भविष्य में वह भी दुनिया के तमाम देशों की तरह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को ही मुद्रास्फीति का वास्तविक पैमाना बनाएगा। वैसे भी, रिटेल स्तर का यही आंकड़ा असली महंगाई को दिखाता है क्योंकि रिटेल और थोक मूल्यों में काफी ज्यादा अंतर रहता है। दोनों तरह की मुद्रास्फीति की दिशा भी विपरीत दिख रही है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 6.89 फीसदी है, जबकि फरवरी में यह इससे ज्यादा 6.95 फीसदी दर्ज की गई थी।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2012 में दौरान अनाज और इससे जुड़े उत्पादों की कीमत साल भर पहले के मुकाबले 2.78 फीसदी ऊंची रही। लेकिन इस दौरान दूध और दुग्ध उत्पादों की कीमत 15.22 फीसदी बढ़ी है, जबकि खाद्य तेल 14.20 फीसदी महंगा हुआ। इसी दौरान चीनी की कीमत 3.78 फीसदी और दाल दलहन की कीमतें 4.89 फीसदी ऊंची रहीं। अंडा, मंछली, मांस की कीमत 10.06 फीसदी बढ़ी, जबकि अल्कोहल-मुक्त पेय 10.20 फीसदी और सब्जियां 9.55 फीसदी महंगी रहीं। इस दौरान क्लोदिंग, बेडिंग व फुटवियर 12.50 फीसदी और ईंधन व बिजली 11.80 फीसदी महंगी हुई हैं।