वित्त मंत्रालय द्वारा जारी ताजा सूचना के मुताबिक 17 मार्च 2012 से सोने का टैरिफ मूल्य 573 डॉलर प्रति दस ग्राम कर दिया गया है जो पहले जितना ही है। उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। वहीं चांदी का टैरिफ मूल्य बदलकर 1036 डॉलर प्रति किलोग्राम कर दिया है। दिक्कत यह है कि इससे ठीक पहले 31 जनवरी 2012 की अधिसूचना के मुताबिक सोने का टैरिफ मूल्य 556 डॉलर प्रति दस ग्राम और चांदी का टैरिफ मूल्य 1067 डॉलर प्रति किलोग्राम रखा गया था। 17 मार्च तक यही दर लागू थी।
दोनों अधिसूचनाओं पर नजर डालने से साफ हो जाता है कि सरकार ने सोने का टैरिफ मूल्य 3.06 फीसदी बढ़ा दिया है, जबकि चांदी के टैरिफ मूल्य में 2.91 फीसदी की कमी की गई है। बजट में सीमा शुल्क को दोगुना करने के बाद सोने का टैरिफ मूल्य बढ़ाना सर्राफा व्यापारियों को और भड़का सकता है। मालूम हो कि टैरिफ या आधार मूल्य वह मूल्य पर है जिस पर सरकार टैक्स लगाती है। अगर आयात इससे कम मूल्य पर भी किया जाए, तब भी सीमा शुल्क आधार मूल्य पर ही लगाया जाएगा। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि आयातक मंगाए गए माल की अंडर-इनवॉयसिंग न कर सकें। केंद्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) का कहना है कि सोने व चांदी का टैरिफ मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के आधार पर बदला जा सकता है।
मुश्किल यह है कि सोने पर टैरिफ मूल्य बढ़ाने के बावजूद सरकार सच बोलने से डर रही है। इसका कारण यह है कि देश भर के सर्राफा व्यापारी 17 मार्च से ही बजट में सोने-चांदी पर सीमा शुल्क दोगुना किए जाने और एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने जैसे प्रावधानों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। इसमें राजेश एक्सपोर्ट्स और गीतांजलि जेम्स जैसी लिस्टेड कंपनियां भी उनका साथ दे रही है।
बुधवार को उनकी हड़ताल का पांचवा दिन था। लखनऊ की एक फर्म बृजवासी बुलियंस एंड ज्वैलर्स के चेयरमैन लोकेश कुमार अग्रवाल ने कहा, “हम हड़ताल पर हैं। कहीं कोई बिजनेस नहीं हो रहा।” इससे देश में सोने की मांग पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। सरकार यही चाहती भी है। असल में सोने का आयात बढ़ने से देश का व्यापार और चालू खाते का घाटा बढ़ता जा रहा है, जिसे थामने के लिए बजट में सोने-चांदी पर आयात शुल्क दोगुना कर दिया गया है।
हालांकि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कल ही दो-टूक अंदाज में कह दिया कि वे सर्राफा कारोबारियों की हड़ताल के आगे नहीं झुकेंगे। लेकिन जिस तरह वित्त मंत्रालय की तरफ से आज झूठ बोला गया है, उससे लगता तो यही है कि सरकार थोड़ी डर गई है। फिर भी पीछे हटने के बजाय आगे ही बढ़ती जा रही है।