डाउ जोन्स में आई 165 अंकों की बढ़त और देश के गृहमंत्री पी चिदंबरम को 2जी स्पेक्ट्रम मामले में मिली राहत ने आज बाजार के बढ़कर खुलने की जमीन तैयार कर दी थी। लेकिन जैसी कि मुझे उम्मीद थी, वो खुद को टिकाए नहीं रख सका। निफ्टी 5390.05 तक जाकर नीचे उतर आया और 0.67 की बढ़त के साथ 5361.65 पर बंद हुआ।
जब हर तरफ से बुरी खबरें आ रही थी, तब बाजार के सारे लोग शॉर्ट सौदों में लगे हुए थे। लेकिन बाजार गिरा नहीं। मेरे मित्र निफ्टी के 4000 तक गिरने की बात कर रहे थे और जैसा कि आप अच्छी तरह वाकिफ हैं कि मैं इस दौरान बराबर तेज़ी का खेमा पकड़े रहा। इधर निफ्टी के 5200 पर पहुंचने पर किनारे खड़े लोग भी रैली में प्रवेश कर गए और कुछ को इसका सुख भी मिला। अब मेरे दोस्त 5600 की बात कर रहे हैं जिसे मैं पचा नहीं पा रहा हूं। मेरी सलाह है कि हर बढ़त पर बेचो।
आज निफ्टी फ्यूचर्स 5400 को पार नहीं कर पाया। वह 5398 तक पहुंच तो गई और जैसी कि मुझे उम्मीद थी, गिरकर 5332 तक चला गया। मैं अगले कुछ सत्रों में इसके गिरकर 5270 पर पहुंचने का इंतज़ार कर रहा हूं। इसके नीचे पहुंचते ही मेरे दोस्त इसे 5100 तक पहुंचाने का मेरा लक्ष्य पूरा करवा देंगे। अगर बाजार 5400 के पार जाता भी है तो 5400 से 5530 के दौरान प्रतिरोध के कई तगड़े स्तर हैं। मेरा मानना है कि इसका 5530 पर पहुंचना बहुत-बहुत मुश्किल है। इसलिए हर बढ़त पर बेचकर निकल लें। एक ऋणात्मक रुझान नजर आ रहा है जिसके टूटने में थोड़ा वक्त लग सकता है।
वैसे, सरकार की नीतियां भी अचानक सकारात्मक हो गई हैं। रिजर्व बैंक का कहना है कि वह ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। सरकार कह रही है कि वह ओएनजीसी जैसे सार्वजनिक उपक्रमों के शेयर स्टॉक एक्सचेंज की नई सुविधा के तहत बेचेगी। वह यह भी कह रही है कि अगले साल राजकोषीय घाटा कम कर देगी। यह सब बड़ा सुखद लग रहा है और इनके चलते मंदड़िए अपने शॉर्ट सौदे काटकर अब लांग पोजिशन पकड़ने लगे हैं।
निफ्टी का प्रीमियम लगभग खत्म हो चुका है। आप खुद ही देख सकते हैं कि फ्यूचर्स का बंद भाव आज 5360.80 रहा तो कैश बाजार का बंद भाव 5361.65 है। इस बीच रुपए की दिशा का पलटना 48.60 से दोबारा शुरू हो गया, जो मैं आपको पहले ही बता चुका था। अब रुपया डॉलर के सापेक्ष 50 तक पहुंचेगा और एफआईआई धन निकालना शुरू कर देंगे। आप इसे विदेशी निवेश के प्रवाह का धीमापन कह सकते हैं। लेकिन इसके चलते बाजार नीचे का रुख करेगा। वैसे भी, हकीकत यही है कि बाजार को गिरना ही है क्योंकि एकतरफा बढ़त गहरे करेक्शन की गुंजाइश बढ़ा देती है। बाजार में आई अभी की बढ़त स्वस्थ नहीं रही है। इसने एक बार फिर साबित कर दिया कि शेयरों व सूचकांकों को उठाने-गिराने के पीछे कुछ बड़े उस्तादों का हाथ है। वे ऐसा इसलिए कर पाते हैं क्योंकि अपने यहां स्टॉक्स के डेरिविटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट नहीं है।
एक और सच आपके सामने रख रहा हूं। बहुत से ट्रेडर हर दिन एफआईआई की खरीद-फरोख्त के आंकड़ों पर निगाहें गड़ाए रहते हैं और इसी के आधार पर अपने दांव खेलते हैं। लेकिन मेरे लिए यह फालतू है। इसका बड़ा सीधा-सरल कारण है। हम देख चुके हैं कि कैसे ऑपरेटर अनेक खातों के जरिए बनावटी वोल्यूम खड़ा करते हैं। इसी तरह एफआईआई के भी बहुत सारे सब-एकाउंट और घरेलू खाते होते हैं। इनमें से एक का वोल्यूम दूसरे में मिला होता है। इसलिए ज्यादातर वक्त एफआईआई निवेश के आंकड़े गुमराह करनेवाले होते हैं। असल में एफआईआई भी अब बनावटी वोल्यूम खड़ा करने लगे हैं।
टॉम, डिक, हैरी बाजार में लौट चुके हैं और खरीद की पूछताछ की बाढ़ आ गई है। खरीद का कॉल्स की सत्यता भी बढ़ रही है। ऑपरेटर अपने दड़बों से निकलकर बीएसई, एनएसई या सेबी की कोई परवाह किए बगैर चुनिंदा शेयरों में खेल शुरू कर चुके हैं। यह सब दिखाता है कि मामला सही ट्रैक पर जा रहा है।
उन स्टॉक्स को खरीदें जो अपने सही मूल्य पर नहीं पहुंच सके हैं और सारे महंगे स्टॉक्स को बेच डालें। इस दौरान किसी भी डाउनग्रेड या अपग्रेड को कोई तवज्जो न दें। बाकी आपकी मर्जी।
लोग तब तक इस बात की परवाह नहीं करते कि आप कितना जानते हैं, जब वे यह नहीं जान जाते कि आप उनकी कितनी परवाह करते हैं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)